क्या होता है पीएम 10
पीएम 10 हवा में मौजूद वे कण होते हैं, जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से कम होता है। इनमें हवा में मौजूद ऐसे तत्व घुले होते हैं जो वायु को प्रदूषित बनाते हैं। यह कण ठोस या तरल रुप में वातावरण में होते हैं। इनमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं। वातावरण में पीएम 10 की मात्रा 100 तक होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता हैं, लेकिन शहर में इनका स्तर लगातार बढ़ रहा है। ये पीएम 2.5 से ज्यादा जानलेवा है, क्योंकि ये हवा में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं। चिकित्सकों के अनुसार हृदय व फेफड़ों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने से कैंसर भी हो सकता है।
पीएम 10 हवा में मौजूद वे कण होते हैं, जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से कम होता है। इनमें हवा में मौजूद ऐसे तत्व घुले होते हैं जो वायु को प्रदूषित बनाते हैं। यह कण ठोस या तरल रुप में वातावरण में होते हैं। इनमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं। वातावरण में पीएम 10 की मात्रा 100 तक होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता हैं, लेकिन शहर में इनका स्तर लगातार बढ़ रहा है। ये पीएम 2.5 से ज्यादा जानलेवा है, क्योंकि ये हवा में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं। चिकित्सकों के अनुसार हृदय व फेफड़ों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने से कैंसर भी हो सकता है।
इसलिए बढ़ रहा प्रदूषण
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धूंए, केमिकल पाउडर, वाहनों का धूंआ, सडक़ पर उडऩे वाली धूल मिट्टी भी प्रदूषण को बढ़ा रही है। इसके चलते हवा में पीएम 10 एवं पीएम 2.5 के कण बढ़ रहे हैं। ये कण इतने महीन होते हैं कि इन्हें हम आंखों से देख भी नहीं सकते हैं, लेकिन शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद यह कण शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धूंए, केमिकल पाउडर, वाहनों का धूंआ, सडक़ पर उडऩे वाली धूल मिट्टी भी प्रदूषण को बढ़ा रही है। इसके चलते हवा में पीएम 10 एवं पीएम 2.5 के कण बढ़ रहे हैं। ये कण इतने महीन होते हैं कि इन्हें हम आंखों से देख भी नहीं सकते हैं, लेकिन शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद यह कण शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
पीएम 10 प्रदूषण का स्तर सांगरिया फांटा- 282 शास्त्री नगर- 267 हाऊसिंग बोर्ड- 261 सूरसागर- 234 सोजती गेट- 223 महामंदिर- 212 कुड़ी- 210 डीआईसी पॉवर हाऊस- 186
बासनी रीको- 183 (वर्ष 2019 के औसत आंकड़े पीसीबी रिपोर्ट के अनुसार)