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जोधपुर

फर्जीवाड़ा : नगर निगम की फर्म के बिलों में 57 लाख का घोटाला

नगर निगम की ठेका फर्म ने बिलों में 57 लाख का फर्जीवाड़ा किया है। इस तरह ने ठेका फर्म ने नगर निगम की आंखों में फिर धूल झोंकी। सीवरेज मशीन संचालन में घोटाले दर घोटाले उजागर हुए हैं। उसके बावजूद निगम प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। मिलीभगत वाले कर्मचारियों व अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

जोधपुरSep 27, 2016 / 09:26 am

Harshwardhan bhati

jodhpur nagar nigam

jodhpur municipal corporation

नगर निगम में सीवरजेट मशीन संचालन में लाखों के घोटाले की परतें खुल गई हैं। बीते कई माह तक सफाई के नाम पर निगम को लाखों का चूना लगा चुकी ठेका फर्म ने पिछले चार महीनों के कार्य के नाम पर फर्जी बिल पेश कर निगम की आंखों में धूल झोंक दी। 
57 लाख का फर्जीवाड़ा 

संसाधनों पर जीपीएस लगाने व ठेका फर्म की ओर पेश किए गए बिलों की जांच में 57 लाख का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है।

मन से बिल बना कर निगम को सौंपे
जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि ठेका फर्म पिंकी ऑटो एंटरप्राइजेज ने चार महीने का एक करोड़ 8 लाख का बिल पेश किया, जिसमें से निगम ने 51 लाख रुपए का ही बिल पास किया। बाकी की राशि के बिल ठेका फर्म ने मन से ही तैयार कर के निगम को सौंप दिए।
जांच करवाई तो पोल सामने आई

महापौर और निगम आयुक्त ने फर्म के कई बिल रोकते हुए जांच करवाई तो गड़बड़झाले की परतें खुल गई। निगम आयुक्त के अनुसार फर्म ने निगम को बीते चार महीने के संसाधनों के संबंध में 64 लाख रुपए का बिल दिया। बिलों की जांच से यह तथ्य सामने आया कि इस राशि में से केवल 44 लाख रुपए की राशि सही पाई गई।
केवल 7 लाख रुपए की राशि ही सही

शेष बिल तो फर्म ने मन से बना कर निगम में पेश कर दिए। इसके अलावा ठेका फर्म ने रिफ्यूज कलेक्टर का भी 44 लाख का बिल पेश किया। बिलों की जांच करने पर निगम ने पेश किए गए बिलों में से केवल 7 लाख रुपए की राशि ही सही मानी। 
केवल 51 लाख रुपए ही सही

इस हिसाब से फर्म ने कुल एक करोड़ 8 लाख रुपए के बिल पेश किए। जिनकी जांच करने पर केवल 51 लाख रुपए ही सही और 57 लाख रुपए के बिल फर्जी पाए गए।
लंबे समय से ठेका दिया जा रहा था

गौरतलब है कि पूरे शहर का कचरा परिवहन करने वाली जयपुर की फर्म पिंकी ऑटो एंटरप्राइजेज को शहर से कचरा परिवहन करने का लंबे समय से ठेका दिया जा रहा था। फर्म भी निगम अधिकारियों सहित अन्य स्टाफ के साथ मिलीभगत कर केरू स्टेशन तक पहुंचे बिना भुगतान उठाती रही।
जीपीएस प्रणाली से भुगतान का फर्म ने किया था विरोध

इस फर्म के पुराने बिलों और लॉग बुकों की जांच करने पर पता चला कि फर्म ने एक पारी की भी ट्रिप पूरी किए बिना दोनों पारियों का भुगतान पास करा लिया।
फर्म ने इसका विरोध किया था

इस बात का खुलासा तब हुआ जब महापौर घनश्याम ओझा के आदेशानुसार निगम आयुक्त अरुणकुमार हसीजा ने सभी संसाधनों का जीपीएस प्रणाली से भुगतान करने के आदेश दिए तो फर्म ने इसका विरोध किया था।
फर्म को ब्लैक लिस्ट करेंगे

सफाई के नाम पर संसाधनों को संचालित करने वाली फर्म के चार माह के बिलों की जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि फर्म ने फर्जी तरीके से जितनी राशि बनती है। उसने दुगुनी राशि का बिल बना कर निगम में पेश किया है। यह तो सिर्फ चार माह के बिलों की जांच की गई है। जिसमें फर्म का सारा खेल सामने आ गया है। महापौर से चर्चा करने के बाद फर्म को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
-अरुणकुमार हसीजा, निगम आयुक्त

पत्रिका व्यू : कब तक बचाएंगे?

सफाई संसाधन संचालन की ठेका फर्म निगम के अफसरों की आंखों में कई महीनों से धूल झौंक रही है। फिर भी निगम प्रशासन लाचार बना हुआ है। इससे निगम के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह भी है कि आयुक्त ने केवल ठेका फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने की बात कही है, लेकिन जिन कर्मचारियों या अधीनस्थ अफसरों की मिलीभगत से ठेका फर्म ने बीते महीने में लाखों का भुगतान उठा लिया और अब फिर चार माह में लाखों के फर्जी बिल पेश कर दिए तो इस मामले में अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर चुप्पी क्यों है? उनके खिलाफ कार्रवाई करने में निगम प्रशासन हाथ पीछे क्यों खींच रहा है? सवाल यह भी है कि आखिर निगम प्रशासन घपले पर कब तक पर्दा डालेगा? 
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