झण्डा लगाने में जल्दबाजी कुलाधिपति व राज्यपाल ने 16 मई 2016 को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी विवि में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के निर्देश दिए। इसके लिए निविदा करने की बजाय विवि ने राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम (आरटीपीपी) 2012 की धारा-35 व धारा-28 के अंतर्गत प्रतियोगी बिड से झण्डा खरीदने को मंजूरी दी। यह खरीद जोधपुर की बजाय जयपुर स्थित राजस्थान विवि के वित्त नियंत्रक के दफ्तर में 15 जून 2016 को हुई। तीन बिडर्स में से बजाज इलेक्ट्रिकल्स को 11.34 लाख रुपए का ठेका दिया। विवि ने 14 जुलाई 2016 को स्थापना दिवस का हवाला देकर आपाधापी में आरटीपीपी एक्ट का सहारा लिया था, लेकिन विवि में नवम्बर 2016 तक झण्डा नहीं लगा, जबकि राजस्थान विवि जयपुर ने सामान्य निविदा प्रक्रिया से 5 अगस्त तक अपने यहां झण्डा लगा दिया था।
विवि ने 15 जून 2016 को बैठक कर राष्ट्रीय ध्वज के साथ तांबे की स्वामी विवेकानंद की मूर्ति लगाने को हरी झण्डी दी, जबकि राज्यपाल सचिवालय ने 5 अगस्त 2016 को हुई बैठक में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में विवेकानंद की मूर्ति स्थापना का निर्णय लिया था। विवि प्रशासन के पास इसका जवाब नहीं है कि आखिर उनको डेढ़ महीने पहले ही मूर्ति लगाने की जानकारी कैसे मिल गई। मूर्ति लगाने के लिए आरटीपीपी एक्ट का सहारा लेकर इसको भी अकल्पित घटना बताया गया। विवि ने 17 जून 2016 को ही राष्ट्रीय झण्डा के साथ इसकी खरीद को भी जयपुर में अंतिम रूप दिया। मूर्ति लगाने के लिए शिल्पम स्कल्पचर को 9.81 लाख रुपए का खरीद ऑर्डर दिया गया। शिल्पम ने फरवरी 2017 में विवि के नया परिसर में काम पूरा करके 4 मार्च 2017 को विवि को 10 लाख 45 हजार 855 रुपए का बिल भेजा। शिल्पम ने करीब 54 हजार रुपए वैट के और करीब 11 हजार रुपए ट्रांसपोर्ट व पैकेजिंग के जोड़ दिए। विवि तो पैसे लुटाने में इससे भी आगे निकला। 14 अक्टूबर 2016 को विवि के सहायक कुलसचिव ने विवि इंजीनियर को पत्र लिखकर राष्ट्रीय ध्वज और विवेकानंद मूर्ति के एकमुश्त 25 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी।
प्रो. प्रदीप शर्मा (बी), कार्यवाहक रजिस्ट्रार, जेएनवीयू जोधपुर