अपणायत का शहर खुद जोधपुर इन विदेशी पावणों के अपनत्व का कायल हो गया। इनके मुल्क की सीमा, भाषा, खान-पान, रहन-सहन सब अलग हैं, लेकिन सूर्यनगरी के बच्चों के एेसे घुलमिले कि ये विदेशी युवा एवं युवतियां मानो उनके जहन में दूध में शक्कर की तरह बन गए हैं।
यूरोप के अलग-अलग देशों से आए 15 युवाओं ने जब देखा कि शहर का राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन जर्जर है। बस फिर क्या था जुट गए इनके 30 हाथ इसे सुधारने में। किसी ने झाड़ू-पोंछा उठाया, तो किसी ने रंग-ब्रश थाम लिया।
विद्यालय भवन की सफाई से लेकर कमरों को सजाने संवारने के साथ ही सबसे बड़ा काम इन्होंने हाथ में लिया, वह है बच्चियों को पढ़ाने का। पढ़ाई भी रोचक तरीके से। खेल-खेल में बालिकाओं को किताबी ज्ञान के साथ ही जीवन की डगर पर सलीके बढऩे का पाठ भी पढ़ा रहे हैं।
शहर के भीतरी इलाके थलियों का बास स्थित यह विद्यालय बाहर से देखने पर जर्जर नजर आता है, लेकिन इसके कक्षा कक्षों किसी भी निजी स्कूल से कमतर नहीं हैं। शिक्षादूत बने इन युवाओं का मुख्य उद्देश्य पधारो म्हारे देस की संस्कृति से जुडऩा और अपने देश की संस्कृति से अवगत कराना है।
यूरोप के देशों के कई युवा बालिकाओं को नई शिक्षा पद्धति के जरिए रोचक जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि अंशकालिक नौकरी से जो पैसा कमाते हैं, विकासशील देशों पर खर्च कर देते हैं।
फ्रांस, इटली, जर्मनी और स्पेन से आए इन विदेशी युवाओं का कहना है कि सेवा का जज्बा आप पैदा नहीं कर सकते। यह ईश्वरीय उपहार है। हम खुश हैं कि ईश्वर ने हमें इस नेक काम के लिए चुना।
इनमें से कुछ भविष्य में अध्यापन के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने भारत को चुना। कुछ लोग भारत भ्रमण करना चाहते थे, लेकिन यहां की संस्कृति को भी जानना चाहते थे।
विदेशी धरती से आए इन युवाओं के लिए बच्चों के साथ संवाद स्थापित करना हालांकि मुश्किल था, लेकिन उन्होंने पिक्चर्स, ड्राइंग, डांस और डांस के माध्यम से उन्हें पढ़ाया। बच्चों और इन युवाओं के लिए यह काफी रोचक अनुभव था।
इन युवाओं ने हमें अंग्रेजी के कुछ वाक्य, बोलचाल की भाषा में उपयुक्त होने वाले शब्द, पेंटिंग, इंडोर गेम्स आदि बहुत कुछ बड़े ही रोचक तरीके से सिखाया। -सान्या, कक्षा तीन, राबाउप्रावि, थलियों का बास
बैंगलूरु स्थित एनजीओ, यूनेस्को के सहयोग कई गतिविधियां कर चुका है। एनजीओ के टीम लीडर आर्केश शेट्टी ने बताया कि संगठन का विजन है ग्लोबल यूथ फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर।
अंतरराष्ट्रीय वॉलंटियर्स के द्वारा इंटर कल्चरल गतिविधियों का आदान-प्रदान संगठन का प्रमुख उद्देश्य है। इस वर्ष संगठन एजुकेशन, किड्स, कल्चर की थीम पर काम कर रहा है।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका जसवंती चौहान ने बताया कि उन्हें खुशी है संगठन ने इस स्कूल को चुना। यहां विदेशी युवाओं ने बच्चों में जोश भरा।
उनके लिए कमरों में काफी दिलचस्प और ज्ञानवद्र्धन पेंटिंग की है। साथ ही हर गतिविधि में बच्चों को शामिल किया है। उम्मीद है कि बच्चों के लिए उपयोगी होगा।
ये युवा हुए शामिल- स्पेन: मरीना, जूलिया, बेर्ता, एस्थर, लॉरा, मॅरिओना, बेनेवेंते। फ्रांस: सायमन, सैम्युल, माया व अर्चुर। इटली: फ्रॅन्चिस्को व एलेना। जर्मनी: इर्मर, रिंडर।