महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर कॉमन होता जा रहा है। विशेषकर शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का सर्वाधिक खतरा रहता है। क्योंकि बहुत से कैंसर शरीर के हार्मोंन से पनपते है। जिन महिलाओं में माहवारी लंबी चलती हो, पूरी प्रेग्नेंसी नहीं आ रही है। एेसी महिलाओं को विशेषकर प्रेग्नेंसी का खतरा रहता है। जो किसी न किसी कारण आगे जाकर ब्रेस्ट कैंसर का रूप लेती है। इसके अलावा बढ़ती उम्र में लोगों को कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा पुरुषों के ब्रेस्ट कैंसर वंशानुगत फैलने के अवसर ज्यादा रहते हैं।
जोधपुर में महिलाओं में ब्रेस्ट, पुरुषों में पेट, मुख व फेफड़ों के कैंसर ज्यादा जोधपुर से महिलाओं में स्तन और पुरुषों में पेट, मुख और फेंफड़ों का कैंसर ज्यादा है। हालांकि कई लोग शुरुआती स्टेज में आ जाते हैं। एेसे में ८०-९० फीसदी रोगी उपचार से बच जाते हैं। हालांकि कई लोगों को कैंसर के बारे में शुुरुआत में पता नहीं लगता है। आजकल ट्रीटमेंट बदल गया है। पेट सीटी स्कैन के जरिये पूरे शरीर में फैलने वाले कैंसर का पता लग जाता है। इन सुविधाओं के कारण उपचार में आसानी हो गई है। जरूरी यह है कि संदेह होते ही तुरंत मरीज समय पर चिकित्सक से संपर्क साध लें। पेट के अंदर लाइनिंग और बड़ी आंत के कैंसर को आज भी अच्छी सर्जरी के जरिये ही मिटाया जा सकता है। इसके अलावा वंशानुगत कैंसर में परिवार के अन्य नातेदार भी अग्रिम ट्रीटमेंट लेकर कैंसर का जोखिम कम कर सकते हैं।
– डॉ. जयेश प्रजापति, कैंसर सर्जन तंबाकू सेवन वालों को मल्टीपल कैंसर का खतरा
कैंसर की रोकथाम के लिए कई तरह की जांचें होती हैं। फिर भी बड़े शहरों में लोग बीमारियों को लेकर ज्यादा जागरुक हैं। इमेज गाइडेड रेडियो थैरेपी तकनीक है। इसमें रेडिएशन फील्ड को डिजाइन किया जाता है, जिससे ट्यूमर को ज्यादा डोज मिलती है। नॉर्मल जगहों को अनुपात के अनुसार डोज मिलती है। रेडिएशन से कैंसर होने के अवसर शून्य होते हैं। दूसरे तरह के कैंसर शरीर में वंशानुगत कैंसर के कारण होते हैं। तंबाकू सेवन वालों को मल्टीपल कैंसर होने के अवसर ज्यादा रहते हैं। इस कारण तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को तुरंत इसका सेवन छोड़ देना चाहिए।
नई तकनीकों में कैंसर छुपा नहीं रहता
पहले की मेमोग्राफी में कई बार कैंसर जल्दी स्टेज में पकड़ नहीं आता था। आजकल मेमोग्राफी की लेटेस्ट मशीन आ गई है, जिसमें रुटीन मेमोग्राफी में जो कैंसर छिपे हुए रहते हैं, वे भी आजकल पकड़ में आने लगे हैं। इन मशीनों को मेमोग्राफी डिजिटल थ्रीडी तकनीक के नाम से भी संबोधित किया जा सकता है। यह जांच कई जगह पैकेज में होती है, लेकिन फिर भी जांच १५ सौ रुपए में हो जाती है। दिल्ली, मुंबई, पुणे व अहमदाबाद जैसे शहरों में इसकी सुविधा है। आजकल एमआरआई भी कई जगह होती है। इस कारण एमआरआई भी कैंसर की बीमारियां शुरुआती स्टेज में पकड़ रही हैं।
पैट सीटी स्कैन ने बदला इलाज का नजरिया कैंसर की बढ़ती घटनाओं ने नए-नए आविष्कार किए हैं। इसी में पैट सीटी स्कैन भी वरदान है। इसमें कैंसर रोगी के इलाज से आसानी से पता किया जा सकता है कि रोगी की सर्जरी करनी है या कीमोथैरेपी से इलाज किया जा सकता है। यह पूरी बॉडी स्कैन करती है। जानकारी ले कर मरीज के इलाज का पूरा प्रबंधन बदला जा सकता है। इसके अलावा यह जांच कितनी मात्रा में दवा देनी है, उसकी भी जानकारी दे देती है। कई बार कैंसर पुन: आता है, उसके कारण भी पता लग जाता है। पैट सीटी स्कैन के माध्यम से कैंसर का इलाज आसानी से संभव हो रहा है।
– डॉ. कृष्णकांत अग्रवाल, कन्सल्टेंट न्यूक्लियर मेडिसिन