गत 1 जुलाई को व्याख्याता के नाले में बहकर मृत्यु के बाद भी नगर निगम इस नाले को लेकर कतई गंभीर नहीं है। वार्ड पार्षद की मानें तो काम तो शुरू हो चुका है, लेकिन अत्यधिक संवेदनशील स्थान पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। शहर के कुछ नालो पर दुर्घटना संभावित क्षेत्र के चेतावनी बोर्ड लगवाकर निगम ने अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली, लेकिन यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं नजर आया, बल्कि सुरक्षा के लिए बजरी से भरे कुछ कट्टे भी क्षेत्रवासियों ने लगाए हैं।
पाल रोड़ खेमे के कुएं की ओर मुख्य सड़क पर भैरव नाला सड़क के समानान्तर होने से कभी भी कोई भी हादसे का शिकार हो सकता है। यहां नाले का खुला मुहाना और वहां निकासी के लिए लगे पाइप, जो कि 40 से 50 फीट तक बंद है। ऐसे में
मानसून चलते विशेष उपाय की यहां त्वरित आवश्यकता है, लेकिन निगम अधिकारियों को यह नजर नहीं आ रहा। क्षेत्रवासियों का कहना हैं कि बिना
मानसून यहां आए दिन दुर्घटना होती है। यहां स्थित व्यावसायिक मार्केट वालों का कहना हैं कि इस नाले की स्थिति को लेकर उन्हें सतर्क रहना पड़ता हैं। बारिश के दिनों में पानी भरने से सड़क व नाले में अन्तर पता नहीं चल पाता, ऐसे में उन्होंने यहां बजरी से भरे कट्टे रखवाए है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि पार्षद को कई बार अवगत करवाया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
इनका कहना है इस नाले पर काम शुरू हो चुका है। धनवंतरी अस्पताल से नाले की दीवार बनना शुरू हुई है। काम होते होते खेमे के कुएं तक पहुंच जाएगा। -राधा शुक्ला, पार्षद, वार्ड संख्या 4