इस बार कोविड-१९ के कारण ठाकुरजी के मंदिरों में भक्ति संध्या व खीर महोत्सव के आयोजन नहीं होंगे। लेकिन पुजारियों की ओर से चल विग्रहों को मंदिर चौक में विराजित खीर खाजा का भोग लगाया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण मंदिरों में भक्तों का प्रवेश भी निषेध रहेगा। मंदिरों में ठाकुरजी का शरद शृंगार होगा।
शरदपूर्णिमा व्रत कल
स्वास्थ्य के साथ खरीदारी के लिए भी श्रेष्ठ रहेगी पूर्णिमा पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि शरद पूर्णिमा तिथि ३० अक्टूबर को शाम ५.४५ बजे से शुरू होकर ३१ अक्टूबर को रात्रि ८.१८ बजे तक रहेगी। इस बार आश्विन शुक्ल चतुर्दशी को पूर्णिमा तिथि निशीथ व्यापिनी है तथा अगले दिन प्रदोष व्यापिनी है। यदि पूर्णिमा तिथि पहले दिन निशीथ व्यापिनी एवं दूसरे दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो शरद पूर्णिमा व्रत दूसरे दिन ही होगा। क्योंकि इस व्रत में किए जाने वाले लक्ष्मी पूजन का काल प्रदोषकाल ही लिखा है । शनिवार को पूर्णिमा चन्द्रोदय व्यापिनी भी है ।
स्वास्थ्य के साथ खरीदारी के लिए भी श्रेष्ठ रहेगी पूर्णिमा पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि शरद पूर्णिमा तिथि ३० अक्टूबर को शाम ५.४५ बजे से शुरू होकर ३१ अक्टूबर को रात्रि ८.१८ बजे तक रहेगी। इस बार आश्विन शुक्ल चतुर्दशी को पूर्णिमा तिथि निशीथ व्यापिनी है तथा अगले दिन प्रदोष व्यापिनी है। यदि पूर्णिमा तिथि पहले दिन निशीथ व्यापिनी एवं दूसरे दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो शरद पूर्णिमा व्रत दूसरे दिन ही होगा। क्योंकि इस व्रत में किए जाने वाले लक्ष्मी पूजन का काल प्रदोषकाल ही लिखा है । शनिवार को पूर्णिमा चन्द्रोदय व्यापिनी भी है ।
खीर का सेवन फायदेमंद
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की शीतल चांदनी में चावल और गाय के दूध से निर्मित खीर रात में और सुबह सेवन से श्वांस व दमा के रोगियों के लिए फायदेमंद रहती है। शरदपूर्णिमा को सिद्धियोग होने से भूमि, भवन, वाहन, आभूषण सहित सभी तरह की गृहउपयोगी चीजों की खरीदारी की जा सकती है।
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की शीतल चांदनी में चावल और गाय के दूध से निर्मित खीर रात में और सुबह सेवन से श्वांस व दमा के रोगियों के लिए फायदेमंद रहती है। शरदपूर्णिमा को सिद्धियोग होने से भूमि, भवन, वाहन, आभूषण सहित सभी तरह की गृहउपयोगी चीजों की खरीदारी की जा सकती है।