जोधपुर. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में फिदायीन हमले में जान गंवाने वाली जोधपुर की बेटी क्षिप्रा (35) के कृष्णानगर मकान में मौजूद लोगों के दिल में आतंक के खिलाफ गुस्सा और आंखों में गम के आंसू नजर आए।
क्षिप्रा की पार्थिव देह का सिवांची गेट स्थित स्वर्गाश्रम में अंतिम संस्कार किया गया। उसकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में शहर के लोग शरीक हुए। इससे पूर्व क्षिप्रा का शव काबुल से हवाई मार्ग से जोधपुर एयरपोर्ट पहुंचा।
वहां से शव को कृष्णानगर स्थित निवास स्थान ले जाया गया। क्षिप्रा की मां बेटी के शव से लिपटकर बिलखने लगी और बेसुध हो गई। पिता, बहन और भाभी का भी रो-रोकर बुरा हाल था।
क्षिप्रा के शव के आगमन की सूचना मिलने के बाद से ही घर के बाहर परिजन और रिश्तेदारों की भीड़ जुटना शुरू हो गई।
जैसे ही शवयात्रा घर से रवाना हुई तो वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई और वाहनों की आवाजाही से व्यस्त रहने वाला कृष्णानगर ठहर सा गया।
क्षिप्रा के घर के अंदर और बाहर उपस्थित लोगों में एक ही बात का गुस्सा था कि आतंकवाद की लड़ाई में शहर की बेटी को जान से हाथ धोना पड़ा। लोगों ने बताया कि क्षिप्रा स्वभाव से बहुत ही मिलनसार थी।
परिवार के लोगों ने बताया कि उसके मन में शुरू से ही कुछ कर गुजरने का जज्बा था। इसीके चलते उसने आतंकवाद से प्रभावित अफगानिस्तान जाने में कोई हिचक महसूस नहीं की।