पीडि़ता ने बनाड़ थाने में १२ सितम्बर को लडक़े के घरवालों व समाज के पंचों के खिलाफ परिवाद पेश किया था, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीडि़त परिवार न्याय के लिए पुलिस के चक्कर लगाता रहा। थक-हारकर पीडि़ता ने एक महीने बाद नौ अक्टूबर को पुलिस कमिश्नर कार्यालय में लिखित शिकायत दी। तब बनाड़ थाना पुलिस हरकत में आई और आरोपियों के खिलाफ कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष इस्तगासा पेश कर पाबंद कराया था, लेकिन लडक़े वाले और समाज के पंचों पर कोई असर नहीं हुआ। पीडि़ता दो बार और पुलिस कमिश्नर कार्यालय में पेश हुई। फिर बनाड़ थाने पहुंची। तब कहीं जाकर २५ अक्टूबर को लडक़े के पिता बंशीलाल थोरी, जिला प्रमुख के पिता प्रभुराम धोचक, बागाराम सिंगड़ व तीन-चार अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी। इस पर भी पंच नहीं डरे और २७ अक्टूबर को पंचायत बुलाकर १६.६५ लाख रुपए का दण्ड लगाकर वसूल भी कर लिया था।
सीए छात्रा के जहरीला पदार्थ खाने के बाद मामले के तूल पकडऩे पर बनाड़ थाने की इस लापरवाही को पुलिस कमिश्नर ने गम्भीरता से लिया। उन्होंने अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त महेन्द्र सिंह को लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ अलग से जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
इस आदेश के तहत महिला उप निरीक्षक ने बुधवार को मथुरादास माथुर अस्पताल के फिमेल मेडिकल वार्ड में भर्ती सीए छात्रा दिव्या चौधरी व परिजन के बयान दर्ज किए।
दबाव में रही पुलिस, सीए छात्रा की जान पर बन आई
बनाड़ थाना पुलिस एक महीने तक परिवाद को दबाए बैठी रही। पीडि़ता न्याय के लिए चक्कर लगाती रही। आरोपियों में चूंकि समाज के पंच व जिला प्रमुख के पिता प्रभुराम, सरपंच और पुलिस निरीक्षक के चाचा शामिल हैं। इसलिए पुलिस भी दबाव में परिवाद की अनदेखी करती रही।
एसीपी ने दूसरे दिन भी दर्ज किए पीडि़त पक्ष के बयान
बनाड़ थाने में दर्ज एफआइआर की जांच पुलिस कमिश्नर के आदेश पर सहायक पुलिस आयुक्त नारायण सिंह कर रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को मौका मुआयना करने के साथ ही सीए छात्रा व चार-पांच परिजन के बयान दर्ज किए थे। उन्होंने बुधवार को भी पीडि़त पक्ष के कुछ और लोगों के बयान दर्ज किए। फिलहाल आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एसीपी सिंह का कहना है कि अब तक दस गवाहों के बयान हो चुके हैं। अब छात्रा के दादा के बयान लिए जाएंगे। उसके बाद दूसरे पक्ष से पूछताछ होगी।
रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई
‘कार्रवाई में देरी होने के कारण एडीसीपी को जांच करके रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद थानाधिकारी व चौकी प्रभारी एसआई को लाइन हाजिर और एएसआई व हेड कांस्टेबल को निलम्बित किया गया है।’
आलोक वशिष्ठ, पुलिस कमिश्नर जोधपुर।