किसी ने हजारों किमी यात्रा की, तो कोई 500 वेबिनार में ले चुका भाग
- विकलांगता को नहीं होने दिया हावी, हौंसलों से आगे बढ़ रहे दिव्यांग
- वल्र्ड डिसेबिलिटी डे विशेष

जोधपुर।
कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और हौंसला बुलंद हो तो कोई बाधा मंजिल के आड़े नहीं आती। इसमें शारीरिक अक्षमता भी आड़े नहीं आती। कुछ ऐसा ही कमाल कर रहे है दिव्यांग। ये दिव्यांगता को वरदान के रूप में स्वीकार कर व अपनी कमजोरी को मजबूती में बदलकर अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहे हैं। इनमें से कइयों ने हजारों किलोमीटर की यात्रा की है तो कई सैकड़ों वेबिनार के जरिए जागरुकता का संदेश दे रहे हैं।
ट्राइ साइकिल से यात्रा कर कर रहे मोटिवेट
केन्द्रीय विद्यालय के शिक्षक जगदीश लोहार दिव्यांगों को मोटिवेट करने को अपने जीवन का ध्येय बना चुके हैं। इसके लिए वे अपने ट्राइ स्कूटर से लद्दाख व पश्चिम से पूर्वी छोर सहित देश में करीब 7 हजार किमी यात्रा कर चुके है।
उन्होंने दिव्यांगों के लिए अनुकूलित वाहनों की खरीद प्रक्रिया के सरलीकरण और उन पर टोल टेक्स मुक्ति के आदेश लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। दिव्यांगों को राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टेक्स मुक्ति के लिए दो साल संघर्ष किया। आखिर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सभी टोल नाकों पर दिव्यांगजनों के लिए टोल मुक्ति के आदेश जारी करने पड़े। लोहार राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।
ज्ञानार्जन की लालसा, 5 विषयों में एमए
पांच साल की उम्र से ही दोनों पैरों से विकलांग श्रवणकुमार ने ज्ञानार्जन की लालसा में पांच विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्रिया हासिल करने की उपलब्धि हासिल की है। दर्शन शास्त्र, हिंदी, समाजशास्त्र, लोक प्रशासन व इतिहास में एमए के साथ उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की। कोरोनाकाल में उन्होंने 500 से अधिक वेबिनार में भाग लिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न बिंदुओं पर करीब 150 परिसंवाद में सक्रिय रूप से शामिल रहे। राज्य सरकार उन्हें वर्ष 2005 मे स्वनियोजन पुरस्कार व वर्ष 2019 में प्रेरणा स्तोत्र पुरस्कार प्रदान कर चुकी है
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