कागजों में सुरक्षित गंगलाव और बाईजी का तालाब उन्होंने कहा कि सूरसागर विधान क्षेत्र के गंगलाव तालाब में प्राचीन मंदिर, मीठे पानी की बेरियां हैं, जहां से लम्बे समय तक विभिन्न उत्सवों में जल पूजन होता था। फि र यहां के मीठे और पवित्र जल को सिर पर उत्सवपूर्वक ले जाकर महिलाएं अपने घर में पूजा आदि में काम में लेती थी। परन्तु सरकारी तंत्र की मिलीभगत और लापरवाही से इस तालाब के जल भराव क्षेत्र और तालाब के जलग्रहण क्षेत्र पर अतिक्रमण कर आवासीय एवं व्यवसायिक इमारतें बना ली गई। रही सही कसर तालाब में बेतहाशा मलबा डाल कर इसे डम्पिंग स्थल के रूप में तब्दील कर दिया गया।
अंधाधुंध मलबे से बे-सुरा हुआ सूर सागर तालाब, मामला अब नेशनल ग्रीन टिब्यूनल के हवाले वर्तमान में यह तालाब गंदे पानी के कीचड़ और शेष बचे क्षेत्र में अतिक्रमण और मलबे से अटा पड़ा है। अतिक्रमियों को लाभ पहुंचाने और उनसे सांठ-गांठ के चलते नगर निगम के अधिकारियों और कार्मिकों ने सदैव अतिक्रमण हटाने से गुरेज किया है। बार-बार अतिक्रमण हटाने की योजना बनने के बावजूद तालाब का स्वरूप सुधरने के स्थान पर बिगड़ता ही जा रहा है।
जोधपुर का दूसरा गंगलाव बन रहा गोवर्धन तालाब विधायक ने प्राचीन ऐतिहासिक तालाब पर व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन वाले अतिक्रमण स्थलों को अविलम्ब सीज कर समतल करने और वहां नगर निगम सम्पत्ति का बोर्ड लगाने, तालाब के चारों और सीसीटीवी कैमरे लगाकर प्रभावी मॉनिटरिंग करने, तालाब में दबे प्राचीन मंदिरों का स्वरूप निखारने और शेष बचे क्षेत्र में वॉकिंग ट्रेक, चिल्ड्रन पार्क का विकास करने की मांग की। उल्लेखनीय है राजस्थान पत्रिका ने जोधपुर के जलाशयों पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर सिलसिलेवार समाचारों की शृंखला में 21 मई को गंगलाव तालाब की दुर्दशा को प्रमुखता से उजागर किया था।