scriptमहालक्ष्मी पूजन में शामिल हो सकेगी मारवाड़ के खेतों में विशिष्ट उपज | Special produce in the fields of Marwar will be included in Mahalaxmi | Patrika News
जोधपुर

महालक्ष्मी पूजन में शामिल हो सकेगी मारवाड़ के खेतों में विशिष्ट उपज

उपज पिछले कई सालों से नदारद थी परम्परागत सामग्री

जोधपुरOct 30, 2021 / 11:23 am

Nandkishor Sharma

महालक्ष्मी पूजन में शामिल हो सकेगी मारवाड़ के खेतों में विशिष्ट उपज

महालक्ष्मी पूजन में शामिल हो सकेगी मारवाड़ के खेतों में विशिष्ट उपज

जोधपुर. दीपावली पर मारवाड़ के खेतों में पैदा होने वाली विशिष्ट उपज जब पक कर तैयार होती है तो इसके लिए दिवाळी रा दीया दीठा…, काचर बोर मतीरा मीठा… कहावत खासी प्रचलित है। याने पंचपर्व दीपोत्सव के दीपक नजर आने के साथ ही विशिष्ट उपज काचरे व मतीरों में प्रकृति की मिठास प्रवेश करती है। इस बार मारवाड़वासी महालक्ष्मी पूजन के समय मारवाड़ के खेतों में विशिष्ट उपज माने जाने वाले काचर, मतीरे के साथ सब्जी के रूप में प्रयुक्त किए जाने वाली चंवळे की फळियों, सक्करकंद, सेळड़ी (गन्ना), सीताफल, सिंघोड़ा आदि की मिठास को शामिल कर सकेंगे। पिछले कुछ सालों से परम्परागत पूजन में ये चीजें गायब होती जा रही थी लेकिन इस बार कई क्षेत्रों में वर्षा अच्छी होने के कारण प्रचूर मात्रा में विशिष्ट उपज होने से शहरवासी भी परम्परागत पूजन में ये चीजें शामिल कर सकेंगे।
डिब्बों में सिमट गए खील बताशे

महालक्ष्मी पूजन में प्रयुक्त किए जाने खील-बताशे व सक्कर से बने खिलौने, चिपड़ा, कलम आदि अब पूजन सामग्री के डिब्बों में सिमट कर रह गए है। इसे महानगरीय संस्कृति का प्रभाव कहे या महंगाई का असर कि पारम्परिक पूजन सामग्री अब शगुण रूप में ही पूजन में शामिल होने लगी है। परम्परागत पूजन सामग्री जुटाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। परकोटे के भीतरी शहर के कई हिस्सों एवं घंटाघर बाजार में पंचपर्व पर बिकने वाली पूजन सामग्री में भी कमोबेश परम्परागत चीजे कम ही नजर आती है। कई लोग अपने सामथ्र्यनुसार महालक्ष्मी पूजन में सभी तरह के ऋतुफल व पुष्प शामिल कर पाते है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक

आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े लोगों का कहना है कि शरद पूर्णिमा से कार्तिक अमावस्या के बीच ऋतु परिवर्तन के कारण शारीरिक क्रियाओं में बदलाव आता है। ऐसे में काचर, बोर, मतीरा, धनिया आदि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। मारवाड़ में दीपोत्सव के दौरान प्रयुक्त विशिष्ट पूजन सामग्री का कुछ अंश समृद्धि के लिए अन्न भंडार में रखा जाता है।
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