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अपनी सोच सकारात्मक रखें पत्रिका ने रिजल्ट का इंतजार कर रहे या रिजल्ट आने के बाद तनाव में रह रहे विद्यार्थियों की इस परेशानी के मद्देनजर मनोवैज्ञानिकों से बात की तो उनका कहना था कि स्टूडेंट्स को डिप्रेशन बस्टर, टेंशन बस्टर व स्ट्रेस बस्टर बनना चाहिए। जब मनोवैज्ञानिक डॉ. रवि गुंठे से बात की, तब उन्होंने कहा कि गीता के आठवें अध्याय की तरह अपनी सोच सकारात्मक रखें कि जो होगा, अच्छा होगा। बस यही सोचें कि रिजल्ट अच्छा ही होगा।
READ MORE- अशोक गहलोत ने कहा ,यूनिवर्सिटी में घोटाला नहीं, सरकार के दबाव में हुई कार्रवाई जिंदगी जीने का हुनर उनका कहना है कि यदि रिजल्ट उम्मीद के मुताबिक न भी हो, तो जिंदगी जीने का हुनर यह है कि एक परीक्षा ही सब कुछ नहीं है। रिजल्ट में फेल, कप्लीमेंट्री, सप्लीमेंट्री, पास, थर्ड डिविजन, सेकंड डिविजन, गुड सेकंड डिविजन, फस्र्ट डिविजन और मेरिट कुछ भी हो सकता है। रिजल्ट दिल की धड़कन या सांस की नली नहीं है। इसलिए परिवार, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट या दोस्तों के कारण किसी तरह का टेंशन नहीं लें।
डस्टबिन में डाल दें ग्रेड का टेंशन डॉ. गुंठे ने कहा कि भावना में बह कर कोई ऐसा कदम न उठाएं कि आपके पास पछताने का भी समय न हो। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ज्यादा सोचने से तनाव होता है। इससे आप डिप्रेशन में जा सकते हैं। इसलिए ग्रेड का टेंशन डस्टबिन में डाल दें ।
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परीक्षा विजन का तात्कालिक आकलन उन्होंने कहा कि एक परीक्षा आईक्यू या विजन का तात्कालिक आकलन होती है। उस समय हो सकता है आप उनींदे ही परीक्षा देने पहुंचे हों, यह भी हो सकता है कि सिर में ज्यादा दर्द होने के कारण आप ढंग से एपियर न कर पाए हों। इसलिए डिविजन, परसेंटेज या ग्रेड का टेंशन डस्टबिन में डाल दें और फ्रेश माइंड रहें। तनाव स्ट्रोक, हार्ट अटैक, अल्सर और अवसाद जैसे मानसिक बीमारियों को बुलावा देता है। एक बार नाकाम होने के बाद आप दुबारा एग्जाम दे सकते हैं, लेकिन जिंदगी एक बार चली गई तो दुबारा चांस नहीं मिलेगा।
सबकी सुनें और खुद पर भरोसा रखें मनोवैज्ञानिक डॉ. रवि गुंठे के अनुसार हर स्टूडेंट परीक्षा व परीक्षा परिणाम से पहले अपना मूल्यांकन करता है। जब रिजल्ट आने वाला होता है तो स्टूडेंट्स को लगता है कि मैंने ठीक किया है। इसके उलट वह अपने टीचर, फ्रेंड,मदर, फादर या करीबी रिश्तेदारों की राय को महत्व देता है। वे कहते हैं कि कम से कम इतने परसेंट तो आना ही चाहिए। यह दबाव ही खतरनाक है।
READ MORE- जोधपुर स्थापना दिवस: मिलिए जोधपुर के असली बाहुबलियों से, सबका जीवन करेगा प्रेरित रिजल्ट आने पर सोसाइटी का सामना करें रवि गुंठे अनुसार रिजल्ट आने पर सोसाइटी का सामना करें। लाइफ टर्निंग पॉइंट है। स्टूडेंट्स सबकी सुनें और खुद पर भरोसा रखें। क्यों कि एग्जाम एक तीर की तरह है जो एक बार कमान से निकल गया तो निकल गया, वह सही जगह भी लग सकता है और गलत भी लग सकता है। जिंदगी तनाव का नहीं, जीने का नाम है।