कार्यक्रम में पुलिस कमिश्नर प्रफुल्ल कुमार, पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय व यातायात) डॉ रवि, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राहुल बारहठ, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद सांखला व जिला शिक्षा अधिकारी संतोष ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर संभाग की विभिन्न विद्यालयों के संस्था प्रधान, पीटीआई व पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद थे। देश में सबसे पहले वर्ष २००६ में केरल में यह योजना शुरू की गई थी। वर्तमान में छह सौ विद्यालयों के एक लाख छात्र लाभ उठा रहे हैं।
पुलिस व शिक्षा विभाग की संयुक्त योजना दो वर्ष के लिए होगी। प्रथम वर्ष में आठवीं कक्षा के शारीरिक स्वस्थ्य विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। जो कैडेट कहलाएंगे। अगले साल इन कैडेट्स को ९वीं कक्षा में भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह योजना औसतन हर पुलिस स्टेशन के एक राजकीय विद्यालय में जुलाई से शुरू हो गई है। कम से कम तीस विद्यार्थियों से योजना शुरू की जाएगी।
– प्रशिक्षित युवाओं में अनुशासन व विधि की पालना का विकास करना। समाज में सेवा भाव के साथ नागरिक बोध और सामाजिक प्रतिबद्धता के संस्थान लाना। – सामुदायिक मामलों को सुलझाने में एेसे युवाओं को साझीदार बनाना। नेतृत्व क्षमता का विकास करना। अंत:करण में छुपे पुलिस जवान को जगाना, कानून की उपयोगिता व महत्व समझाना।
– युवाओं में सम्प्रदाय व धर्म निरपेक्षता का विकास करना। विद्यार्थियों को पुलिस के साथ मिलकर आंतरिक सुरक्षा व शांति व्यवस्था में सुधार के अनुकूल बनाना।