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देश की आजादी को बीत चुके ७० साल पर फिर भी शिक्षा का एेसे बुरे हाल,बच्चों ने कहा आती है बदबू..

locationजोधपुरPublished: Aug 13, 2017 06:53:00 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खेतानाड़ी के बुरे हाल..छप्पर के नीचे बैठकर पढ़ते हैं बच्चे, बारिश आते ही करनी पड़ जाती है छुट्टी..

Such pity condition of government schools in jodhpur

Such pity condition of government schools in jodhpur

जोधपुर. देश की आजादी को ७० साल बीत चुके हैं, लेकिन सरकार विद्या के मंदिरों का बुनियादी ढांचा और संसाधन जुटाने में तक में नाकामयाब रही है। एम्स और आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों पर गर्व महसूस करने वाली सूर्यनगरी के सरकार स्कूलों की हालत को देखकर हर किसी को रोना आता है। जर्जर भवन में चल रहे सरकारी स्कूल तो बहुत हैं, लेकिन एक स्कूल एेसा भी है जो कबाड़खाने में चल रहा है। छप्पर के नीचे चल रहे मंडोर रोड स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खेतानाड़ी की बदहाली पर आज तक किसी अफसर की नजर नहीं गई है।
किराए की बिल्डिंग और घर जैसी स्कूल

खेतानाड़ी स्कूल किराए की जगह में चल रही है। प्रवेश करते ही विद्यार्थी जमीन पर बैठे हुए मिले। हालात ये थे कि बैठने के लिए टेबल-कुर्सी लगा भी दी भी जाए तो यहां पर्याप्त जगह नहीं है। कक्षा कक्ष के ऊपर छत के बजाय लोहे की एंगल पर ग्रीन पर्दे लगे हुए थे। जहां कक्षा तीन से पांच तक के बच्चे पढ़ते मिले। निकट ही कक्षा ६ चल रही थी।

बारिश में करनी पड़ती है छुट्टी

अक्सर बारिश के दिनों में स्कूल प्रबंधन को मजबूरन बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है। कक्षा में ऊपर के दो कक्षों में बड़ी कक्षाओं के बच्चों को बैठाया जाता है। जगह बहुत कम होने के कारण जगह-जगह गंदगी पसरी हुई है।
बच्चों ने कहा, आती है बदबू
मौके पर पत्रिका टीम ने विद्यार्थियों से स्कूल के हाल पूछे। उन्होंने बताया कि यहां बदबू आती है। बालिकाओं ने बताया कि वे नीचे बैठकर अध्ययन कर रही हैं। सातवीं-आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को ऊपर चबूतरेनुमा स्थान पर बैठाया जाता है। स्कूल में अधिकारी आते हैं और दूसरी स्कूल बनाने का आश्वासन दे जाते हैं। एक अध्यापिका ने बताया कि यहां छह का स्टाफ है। इन दिनों इंटर्नशिप के शिक्षक भी सेवाएं दे रहे हैं।
शिफ्टिंग के प्रयास

स्कूल के लिए जगह के आवंटित जगह को लेकर विवाद है। विभाग स्कूल को नई जगह शिफ्ट करने को लेकर प्रयासरत है।

– सुभाषचंद शर्मा, उपनिदेशक, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, जोधपुर मंडल
देश की आजादी को ७० साल बीत चुके हैं, लेकिन सरकार विद्या के मंदिरों का बुनियादी ढांचा और संसाधन जुटाने में तक में नाकामयाब रही है। एम्स और आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों पर गर्व महसूस करने वाली सूर्यनगरी के सरकार स्कूलों की हालत को देखकर हर किसी को रोना आता है, जर्जर भवन में चल रहे सरकारी स्कूल तो बहुत हैं, लेकिन एक स्कूल एेसा भी है जो कबाड़खाने में चल रहा है। 

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