विश्व में हम यहां खड़े हैं 1. चीन को पछाडऩा बड़ी चुनौती
सोलर जनरेशन में चीन सबसे बड़ा नाम है। करीब 150 गीगावाट के सोलर जनरेशन के प्लांट चीन में लगे हैं। यूएसए और जापान जैसे देश भी भारत से आगे हैं। हमारे देश में वर्तमान में 28 गीगावाट बिजली जनरेशन के प्लांट लगे हुए हैं।
सोलर जनरेशन में भारत ने वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट बिजली जनरेशन के प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। इसमें राजस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है। 3. 2028 में बन सकते हैं अव्वल
यदि 2022 में हम 100 गीगावाट का लक्ष्य अर्जित कर सकते हैं तो इसके बाद 2028 तक हम विश्व में सोलर जनरेशन में सबसे बड़ा नाम होंगे।
राजस्थान का योगदान – 28 गीगावाट से अधिक क्षमता के सोलर बिजली जनरेशन प्लांट देशभर में लगे हैं।
– 3 गीगावाट प्रति घंटा बिजली का उत्पादन राजस्थान में फिलहाल हो रहा है। जो कि करीब 10 प्रतिशत है।
– राजस्थान का देश में तीसरा स्थान है। तेलंगाना राजस्थान से आगे हैं। – 15-20 प्रतिशत प्रदेश की डिमांड की बिजली सोलर जनरेशन से बन रही है।
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– 2500 मेगावाट (प्रतिदिन) तक उत्पादन क्षमता के प्लांट संचालित हैं यहां (2) पवन ऊर्जा…
– 200 लाख यूनिट प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है राज्य में
———- राजस्थान में ऐसे बन रही है बिजली
1. छबड़ा थर्मल पावर प्लांट- 2320 मेगावाट 2. कोटा सुपर थर्मल प्लांट- 1240 मेगावाट
3. धौलपुर कंबाइंड साईकल पावर स्टेशन – 330 मेगावाट
5. सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन- 1500 मेगावाट 6. कालीसिंध थर्मल पॉवर स्टेशम, झालावाड़ – 1200 मेगावाट
7. रामगढ़ गैस थर्मल पॉवर स्टेशन – 273.50 मेगावाट 8. माही हैडल, बांसवाड़ा – 163.85 मेगावाट
9. सोलर जनरेशन – 2.5-3 हजार मेगावाट
– 11-12 हजार मेगावाट ऑवर एमडब्ल्यूएच के करीब जरूरत होती है प्रदेश में बिजली की। – 8-9 हजार एमडब्ल्यूएच के संयंत्र प्रदेश में लगे हुए हैं।
– 2 से 3 हजार एमडब्ल्यूएच बिजली की आपूर्ति पड़ौसी प्रदेश के ग्रिड से होती है।
(आंकड़े औसत में है, जो कि प्रतिघंटे बदलते रहते हैं) ———- सोलर पैनल ऐसे कम करेगा जेब का भार
– एक किलोवाट का रूफ टॉप सोलर सिस्टम प्रतिदिन औसतन 4 यूनिट बिजली जनरेट करता है।
– एक सामान्य चार कमरे के मकान की बिजली खपत 300-350 यूनिट प्रतिमाह मानी जाती है। – 120 यूनिट का खर्च सोलर कम कर देगा।
– ऐसे में सोलर सिस्टम लगे मकान को अभी आ रहे बिल में एक तिहाई रियायत मिल सकती है।
अभी सोलर जनरेशन में हम देश में तीसरे स्थान पर आते हैं। भड़ला सोलर प्लांट में इतनी क्षमता है तो वह प्रदेश की जरूरत की आधी बिजली बना सकता है। लेकिन सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर इस प्रकार का नहीं है कि वह पूरी बिजली का उपयोग कर सके। देश में राजस्थान और प्रदेश में भी पश्चिमी क्षेत्र में पूरे साल में अधिकांश सन्नी डेज (सूरज की रोशनी) होते हैं। ऐसे में यहां सोलर जनरेशन काफी अधिक है। बाहर से कंपनियां पश्चिमी राजस्थान में सोलर प्लांट इंस्टॉलेशन के लिए आ रही है। 3 साल में राजस्थान का सोलर जनरेशन तीन गुना हो गया है। भड़ला जैसा एक सोलर प्लांट और आ जाए तो राजस्थान प्रदेश में नम्बर एक होगा। राजस्थान में वह क्षमता है जो हमारे देश को सोलर जनरेशन में पहला स्थान दिला सकता है।