यूरोलॉजी विभाग में करीब 60 बैड हैं। यूरोलॉजी सुपरस्पेशलिएटी विभाग में एमसीएच कोर्स रखने के लिए कम से कम चिकित्सक शिक्षक के पास नौ साल का अनुभव जरूरी होता है। साथ ही प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर की भी दरकार विभाग चलाने के लिए चाहिए होती हैं। इस साल एग्जाम के बाद चार रेजिडेंट डॉक्टर्स तो निकल जाएंगे। कोई सीनियर डॉक्टर अब नहीं लाया गया तो शेष आठ सीटों पर रेजिडेंट चिकित्सकों को दूसरे सुपरस्पेशलिएटी वाले मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं इन दिनों एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गोवर्द्धन चौधरी के जिम्मे व्यवस्था चल रही है। वहीं डॉ. प्रदीप शर्मा ने निलंबन के बाद स्वैच्छा से इस्तीफा दे दिया, परंतु सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। वे पातेय वेतन में प्रोफेसर बनने वाले थे। जबकि दो साल पहले उनके कार्यकाल में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू कराया गया था। वर्तमान में किडनी ट्रांसप्लांट भी बंद पड़ा है। गौरतलब हैं कि मेडिकल कॉलेज के कई विभागों में रेजिडेंट डॉक्टर्स कम हैं।
इनका कहना हैं..... हम सेवानिवृत्त चिकित्सक शिक्षक को पुन: बुला रहे है, ताकि यूरोलॉजी विभाग का सफल संचालन हो सके। - डॉ.एसएस राठौड़, प्रिंसिपल, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज