गौरतलब है कि मार्च २०१६ में गेहूं के गबन की पुष्टि होने पर एसीबी ने गत वर्ष दो नवम्बर को एफआईआर दर्ज की थी। अब तक आटा मिल संचालक स्वरूप सिंह व निर्मला ही गिरफ्तार हो सके हैं। ठेकेदार सुरेश उपाध्याय व तत्कालीन लिपिक अशोक पालीवाल फरार हैं।
एसपी अजयपाल लाम्बा ने बताया कि बतौर डीएसओ निर्मला ने मार्च २०१६ में पैंतीस हजार बीपीएल परिवार बढऩे का हवाला देकर तैंतीस हजार क्विंटल गेहूं के अतिरिक्त आवंटन की मांग की थी। जयपुर स्थित खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में एलडीसी शिवप्रकाश शर्मा ने नोटशीट पर गेहूं का आवंटन किया था। उसकी भूमिका सामने आने पर एसीबी ने गुरुवार को शिवप्रकाश को तलब कर दिनभर पूछताछ की। जोधपुर शहर के राशन डीलर एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल गहलोत से भी पूछताछ की गई। गबन के दौरान अनिल के पास राशन की बीस दुकानें थी। उसे गेहूं का अतिरिक्त आवंटन किया गया था। दोनों से शुक्रवार को भी पूछताछ की जाएगी।
निर्मला एसीबी के समक्ष सरेंडर करने के लिए चुन्नी से चेहरा ढंककर आई थी। जब गुरुवार को जांच अधिकारी सोनी ने कोर्ट में पेश किया तो उसके हाव-भाव बदले हुए थे। सिर नीचा किए मुस्कराहट के साथ वो कोर्ट में पेश हुई। एसीबी ने सात दिन का रिमांड मांगा। हालांकि मजिस्ट्रेट ने उसे दो दिन के रिमाण्ड पर भेजने के आदेश दिए।