हरेक स्कूल को घर समझा मैं साल 2006 में लेक्चरर पद पर पीपाड़ शहर में नियुक्त हुई। सरकारी स्कूल ज्वॉइन करते वक्त मैंने खुद से प्रोमिस किया था कि हरेक स्कूल को सदैव अपना घर समझूंगी। मैंने 2016 में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत होकर गर्वमेंट सीनियर सैकंडरी स्कूल थोब में कार्य संभाला। यहां स्टूडेंट्स के क्लास रुम रिनोवेशन मांग रहे थे। मैंने यहां सरकारी फंड के सहयोग से 90 लाख रुपए के 11 क्लास रुम तैयार करवाए। इसके बाद मेरा ट्रांसफर सीनियर सैकंडरी स्कूल धवा हो गया। यहां बच्चे कम थे, सरकार के टारगेट से 2 सौ प्रतिशत ज्यादा मैंने नामांकन जोड़ा। बच्चों को एम्स के डॉक्टर्स के सहयोग से हाइजिन ट्रेनिंग भी दी। जिसने वल्र्ड रिकॉर्ड बनाया। गल्र्स को सेल्फ डिफेंस भी सिखवाया। स्कूल में भामाशाहों के सहयोग 25 लाख 70 हजार रुपए से रिनोवेशन, टॉयलेट व फर्नीचर आदि भी लगवाए।
– शीला आसोपा, प्रिंसिपल स्कूल सुधरवाई तो स्टूडेंट्स की स्ट्रैंथ बढ़ी मैं साल 2012 से देचू ब्लॉक के गर्वमेंट उत्कृष्ट अपर प्राइमरी स्कूल मंडला खुर्द में कार्यरत हूं। मैंने स्कूल में 110 बच्चों के नामांकन को 262 पर लाकर स्थापित किया। हालांकि इसके लिए सर्वप्रथम मैंने स्कूल में डवलपमेंट शुरू कराया, इस कारण अपनेआप स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ गई। यहां डोनर के माध्यम से वाटर कूलर, फर्नीचर, कंप्यूटर, जल मंदिर आदि लगवाए। इसके अलावा स्कूल में बिजली कनेक्शन कराया। स्कूल में दीवारों का रंगरोगन व 201 ट्री से प्लांटेशन भी कराया। गांवों में कई बार गल्र्स को लोग स्कूल नहीं भेजते थे, ऐसे में हमने घर-घर जाकर पैरेंट्स को समझाया। इससे स्कूल में गल्र्स की प्रजेंट भी बढ़ी।
– हरदेव पालीवाल, शिक्षक स्कूल में बनाया टॉय बैंक मैं देचू ब्लॉक में राजकीय आदर्श सीनियर सैकंडरी ऊंटवालिया में कार्यरत हूं। स्कूल में छोटे बच्चों को देख मुझे बहुत दुलार आता था। मैंने अपने स्कूल में टॉय बैंक भी स्थापित की। इस टॉयज बैंक में पड़े खिलौने से बच्चे बहुत खुश होते है। जनगणना, प्लस पोलियो, डी-वार्मिंग, ब्लॉक, जिला स्तर पर वाकपीठ में भाग लेना भी सौभाग्य रहा। स्कूल स्टैं्रथ बढ़ाने में भी मैंने खूब मेहनत की। प्रोजेक्टर व एबीएल कक्ष में नवाचार आदि भी मैंने करवाए।
– सत्यप्रकाश सैन , शिक्षक