script

वतन के लिए जो मर मिटे, उनका नाम पाने को तरस रहे शिक्षा के मंदिर

locationजोधपुरPublished: Aug 14, 2019 09:54:33 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

जिले में दो दर्जन से अधिक फाइलें शहीदों के नामकरण के लिए लंबित, जानकारी देने में हिचकिचा रहा विभाग

Temples of education who are dying for their homeland, are dying to get their name

वतन के लिए जो मर मिटे, उनका नाम पाने को तरस रहे शिक्षा के मंदिर

-ह्यूमन एंगल-

जोधपुर. ऐ मेरे वतन के लोगों….लहरा लो तिरंगा प्यारा…कुछ याद उन्हें भी कर लो…जो लौट के घर ना आए….लता मंगेशकर के गाए इस गीत ने भले ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू ला दिए, लेकिन राज्य सरकार वतन पर मिटने वाले ऐसे कई सपूतों के नाम से उनके पैतृक गांव के स्कूल का नामकरण करना ही भूल गई है। शहीदों के परिजन शिक्षा विभाग में चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं लेकिन सिवाय आश्वासनों से बात आगे नहीं बढ़ रही है। शहीदों के नाम से विद्यालय का नामकरण करने की करीब दो दर्जन से अधिक फाइलें शिक्षा विभाग में लंबित है। करगिल के शहीद सपूतों के नामकरण की फाइलें तो लंबित है ही, अभी तक 1965 के भारत-पाक युद्ध के शहीद के नाम से भी स्कूल का नामकरण नहीं हुआ है। जिले के रायसर गांव के राउमावि को शहीद गुमानसिंह के नाम से करने का ग्राम पंचायत ने 22 फरवरी 2018 को प्रस्ताव लिया। स्कूल एसडीएमसी ने 19 अप्रेल 2018 को प्रस्ताव भेजा। यह फाइल अभी तक बीकानेर से बाहर नहीं निकली। उल्लेखनीय है कि गुमानसिंह वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए थे।
…………………
माध्यमिक सेटअप में 10 से अधिक फाइलें लंबित

शिक्षा विभाग के माध्यमिक सेटअप में 10 से अधिक फाइलें लंबित है। अधिकांश में शिक्षा निदेशालय की सहमति का इंतजार है तो कुछ फाइलें विभागीय स्तर पर लंबित है। राजस्थान पत्रिका टीम ने शुक्रवार को प्रारंभिक शिक्षा विभाग में लंबित फाइलों की स्थिति जाननी चाही, लेकिन संबंधित कार्मिक संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। यहां भी एक दर्जन से अधिक फाइलें लंबित है।
…………………
इनका कहना है
वर्ष 1999 के बाद जितने भी शहीद हुए हंै, उनके पैतृक गांव में सम्मान के तौर पर उन्हीं के नाम से एक स्कूल का नामकरण करने का प्रावधान किया था। उसके बाद सरकार ने 1947 से 1999 के बीच जो शहीद हुए है, उनके नाम से भी विद्यालयों के नामकरण करने का प्रावधान किया गया था। इसमें शहीद के गांव की पंचायत से ही नामकरण का प्रस्ताव लिया जाता है। बाद में यह प्रस्ताव शिक्षा विभाग के पास भेजा जाता है।
– ले. कर्नल आरएस राठौड (से.नि ), जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जोधपुर
………………..

जो प्रस्ताव लंबित है, उन्हें हम शीघ्र भिजवा रहे हैं। निदेशालय स्तर पर पेंडिंग को एपू्रव करवा रहे हैं। जल्द से जल्द ऐसे मामलों में पेंडेंसी निबटाई जाएगी।
– प्रेमचंद सांखला, सीडीईओ, शिक्षा विभाग

ट्रेंडिंग वीडियो