एमडीएम अस्पताल में शिशु रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. जेपी सोनी ने बताया कि इस बच्ची को जन्मजात विकृति थी। बच्ची का ब्रेन ढंग से डवलप नहीं था। उसके दिल में छेद था। शरीर में तीन की जगह दो नलियां थी। एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुषमा कटारिया ने बताया कि इस साल अब तक 16 देहदान हो चुके हैं। आज तक की बात करें तो 135 कुल देहदान हुए हैं। इन विकृतियों को लेकर अब मेडिकल स्टूडेंट्स एनाटॉमी विभाग में अध्ययन करेंगे। साथ ही सीनियर डॉक्टर इस पर शोध करेंगे।
देहदान को लेकर जोधपुर में बढ़ रही जागरूकता देहदान के मामले में जोधपुर लगतार इतिहास रच रहा है। जून माह में तीन साल की एक छोटी बच्ची ने देहदान कर इतिहास बनाया तो जुलाई माह में प्री मैच्योर एक बेबी का देहदान कर परिजनों ने एक नई इबारत लिख दी। देहदान को लेकर जोधपुर में लगातार सोच में बदलाव आ रहा है। इसी वर्ष जून महीने में तो सबसे अधिक देहदान हुए थे।