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चार दिन की प्री मैच्योर बच्ची बनी देहदानी, माता-पिता बोले-डॉक्टर शोध करेंगे ताकि किसी और के साथ ऐसा ना हो

locationजोधपुरPublished: Jul 23, 2019 09:21:21 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

इतनी छोटी उम्र में देहदान का अनूठा मामला

The four-day Pre-matriculated baby girl, doctor, doctor-doctor-doctor

चार दिन की प्री मैच्योर बच्ची बनी देहदानी, माता-पिता बोले-डॉक्टर शोध करेंगे ताकि किसी और के साथ ऐसा ना हो

सोशल प्राइड-

जोधपुर. जोधपुर में एक दंपत्ति ने चिकित्सा जगत के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हुए अपनी चार दिन की बच्ची का देहदान किया है। प्री मेच्योर बच्ची में जन्मजात विकृतियां थी। जिसका एमडीएम अस्पताल स्थित शिशु रोग विभाग में उपचार चल रहा था। ये देहदान डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में हुआ है। मेडिकल कॉलेज के लिए इतनी छोटी उम्र का पहला देहदान है।
एक होटल में कार्यरत आशापूर्णा नेनौ मैक्स निवासी रौनी अवतार ने बताया कि गर्भस्थ शिशु के शरीर में कई तरह की विकृतियां थी। साढ़े पांच माह की प्री मैच्योर डिलीवरी हुई। डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने और उनकी पत्नी मीमी ने बच्ची का देहदान करवाया। रौमी अवतार व मीमी की शादी साल 2015 में हुई। ये उनकी पहली संतान थी। बोले- जो हमारे साथ हुआ, वह भविष्य में किसी और के साथ न हो, इसी भावना से उन्होंने अपनी बच्ची का देहदान किया। ताकि मेडिकल स्टूडेंट्स व चिकित्सक इन समस्याओं पर शोध कर सके। उन्हें उम्मीद हैं कि भविष्य में ऐसे मामलों में कमी आएगी।
एमडीएम अस्पताल में शिशु रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. जेपी सोनी ने बताया कि इस बच्ची को जन्मजात विकृति थी। बच्ची का ब्रेन ढंग से डवलप नहीं था। उसके दिल में छेद था। शरीर में तीन की जगह दो नलियां थी। एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुषमा कटारिया ने बताया कि इस साल अब तक 16 देहदान हो चुके हैं। आज तक की बात करें तो 135 कुल देहदान हुए हैं। इन विकृतियों को लेकर अब मेडिकल स्टूडेंट्स एनाटॉमी विभाग में अध्ययन करेंगे। साथ ही सीनियर डॉक्टर इस पर शोध करेंगे।
देहदान को लेकर जोधपुर में बढ़ रही जागरूकता

देहदान के मामले में जोधपुर लगतार इतिहास रच रहा है। जून माह में तीन साल की एक छोटी बच्ची ने देहदान कर इतिहास बनाया तो जुलाई माह में प्री मैच्योर एक बेबी का देहदान कर परिजनों ने एक नई इबारत लिख दी। देहदान को लेकर जोधपुर में लगातार सोच में बदलाव आ रहा है। इसी वर्ष जून महीने में तो सबसे अधिक देहदान हुए थे।
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