जेएनवीयू को वर्ष 2011-12 में संभागीय विवि का दर्जा मिला था। जिसके बाद सिरोही को छोडक़र संभाग के समस्त जिलों की कॉलेजों का अधिकार क्षेत्र जेएनवीयू के पास आ गया। संभाग में पांच जिलों से करीब 1.25 लाख छात्र छात्राएं है। जेएनवीयू कॉलेजों से सालाना न्यूनतम एक लाख रुपए मान्यता शुल्क लेता है। इसके अलावा छात्रों की संख्या, सेक्शन, संचालित पाठ्यक्रम के अनुसार अलग शुल्क है। बाड़मेर-जालोर के कॉलेजों से 65 से 70 विद्यार्थी पढ़ते हैं। सरकार के इस निर्णय के बाद जेएनवीयू के पास जोधपुर, पाली और जैसलमेर के कॉलेज ही बचेंगे।
कर्मचारियों में उलझे, अब नई मशक्कत व्यास विवि और एमबीएम विवि अब तक कर्मचारियों के हस्तान्तरण को लेकर ही उलझे हुए हैं। वहीं अब 1 जुलाई से 171 कॉलेजों का जिम्मा मिलने से दोनों विवि के लिए नई मशक्कत शुरू हो जाएगी। कॉलेजों के दस्तावेजों के साथ बकाया आदि को लेकर भी दिक्कतें पेश आएगी।
एमबीएम केवल इंजीनियरिंग विवि नहीं, बीए-बीएससी भी चलेंगे सरकार ने एमबीएम विवि को मल्टी फैकल्टी विवि बनाया है। इसमें केवल इंजीनियरिंग संकाय या कॉलेज ही नहीं जुड़ेंगे, कला, वाणिज्य, विज्ञान व विधि संकाय भी खोला जाएगा। अब सामान्य व बीएड कॉर्सेज भी विवि के अधीन कॉलेजों से आ जाएंगे। मगर एमबीएम में कर्मचारी नाममात्र के ही हैं, जिसके कारण से चुनौती का सामना करना पडेगा।
——————- – सरकार ने बाडमेर-जालोर के कॉलेजों का जिम्मा दिया है। कॉलेजों के संबंध में पूरी जानकारी, निरीक्षण वगैरह किए जाएंगे। – प्रो.अजय शर्मा, कुलपति, एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर