– दो साल तक टेस्टिंग कृषि विश्वविद्यालय में गेहूं की अन्य किस्मों के साथ एचआइ-1605 किस्म पर प्रयोग किया गया। सभी मौसम व अन्य किस्मों के साथ तुलनात्मक रूप से यह उपयुक्त पाई गई। इसके बाद, राज्य सरकार के रामपुरा स्थित एडेप्टिव ट्रायल सेंटर पर एक साल तक अन्य किस्मों के साथ प्रयोग कराया गया, जहां भी इस किस्म के सकारात्मक परिणाम आए। कृषि विश्वविद्यालय कि जनसंपर्क अधिकारी डॉ एमएल मेहरिया के अनुसार, रिसर्च में यह सामने आया कि वर्तमान में मारवाड़ में किसान जो गेहूं की प्रचलित किस्में काम में लेते आ रहे है, उन सबसे अधिक उपज यह नई किस्म देगी।
— कुपोषण खत्म करने में होगी मददगार – अन्य किस्मों की तुलना में एचआइ-1605 किस्म में आयरन व जिंक की मात्रा अधिक है, जो कुपोषण खत्म करने में मददगार होगी। – 120 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी।
– सामान्य अवस्था में 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन है। औसत उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। – 20 अक्टूबर से 10 नवम्बर के बीच बुवाई की जा सकती है। – इसमें गेरुआ रोग, कंड़वा, फुटरोग, फ्लेग स्मट, लीफ ब्लाइट, करनाल बंट आदि रोग नहीं लगेंगे।
—- जिले में गेहूं का उत्पादन एक नजर में वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक ——– वर्ष 2019-20 क्षेत्रफल हैक्टेयर — 68632..2 —— 75032 उत्पादन मीट्रिक टन – 179391.6 —— 207225
—————————————————————– गेहूं की एचआइ-1605 किस्म का अन्य किस्मों के साथ प्रयोग किया गया, जिसके बेहतर परिणाम आए। इसको पैकेज ऑफ प्रेक्टिसेज में अनुमोदित कर लिया गया है। अब यह किस्म किसानों को उपलब्ध हो सकेगी।
डॉ बीआर चौधरी, कुलपति कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर —-