विभागीय वैज्ञानिकों का मानना है कि 40 डिग्री पार के तापमान से जमीनी जीवाश्म की मात्रा कम होने के साथ-साथ भूमि के लाभकारी जीवाणुओं का मरना शुरू हो जाता है। कृषि वैज्ञानिक तख्तसिंह राजपुरोहित का कहना है कि हर साल तापमान में बढ़ोतरी का असर भूमि की उर्वरा शक्ति पर पड़ रहा है। अधिकतम व न्यूनतम तापमान में 10 डिग्री सेल्सियस अधिक का अंतर नहीं रहना चाहिए। जबकि पिछले कुछ वर्षों में दिन व रात के तापमान में आधा अंतर आ गया है। यदि स्थिति जारी रही तो ग्लोबल वार्मिंग 21वीं सदी में खतरे के रूप में सामने आएगा।
नाइट्रोजन की घट रही मात्रा
विभाग की ओर से किसान के प्रत्येक खसरे की मिट्टी की जांच करवाई, इससे खेत का सम्पूर्ण विवरण किसान की जेब में है। जांच में सामने आया कि 5 वर्ष पहले तक जहां भूमि में मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन की मात्रा का प्रतिशत 0.56 था वह वर्तमान में घटकर 0.44 प्रतिशत है। इसका कारण कृषि विशेषज्ञ भी तापमान में बढ़ोतरी होने को मान रहे हैं।
विभाग की ओर से किसान के प्रत्येक खसरे की मिट्टी की जांच करवाई, इससे खेत का सम्पूर्ण विवरण किसान की जेब में है। जांच में सामने आया कि 5 वर्ष पहले तक जहां भूमि में मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन की मात्रा का प्रतिशत 0.56 था वह वर्तमान में घटकर 0.44 प्रतिशत है। इसका कारण कृषि विशेषज्ञ भी तापमान में बढ़ोतरी होने को मान रहे हैं।
मृदा कार्ड में मिट्टी की जांच, पोषक तत्वों की कमी, अधिकता, कौन सी फसल के लिए मिट्टी उपयुक्त है तथा इसमें कितने किलो उर्वरक की आवश्यकता है। यह बताने के लिए कृषि विभाग की ओर से खेतों के मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए हैं। जिससे किसान यह जान पा रहा है कि उसके खेत में किस पोषक तत्व की कमी, कौन से पोषक तत्व की आपूर्ति कर वह फसल का अधिक उत्पादन ले सकता है।
इन्होंने कहा
तेज गर्मी के चलते मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। इसमें जीवाश्म, ऑर्गेनिक मैटर की मात्रा, लाभदायक बैक्टीरिया व पोषक तत्वों की उपलब्धता घट रही है, जिससे फसलों की उपज व गुणवत्ता प्रभावित होती है। वही तापमान बढऩे से भूमि में लवणीयता व क्षारीय होने की समस्या बढ़ जाती है।
तेज गर्मी के चलते मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। इसमें जीवाश्म, ऑर्गेनिक मैटर की मात्रा, लाभदायक बैक्टीरिया व पोषक तत्वों की उपलब्धता घट रही है, जिससे फसलों की उपज व गुणवत्ता प्रभावित होती है। वही तापमान बढऩे से भूमि में लवणीयता व क्षारीय होने की समस्या बढ़ जाती है।
रामकरण बागवान, सहायक कृषि अधिकारी बिलाड़ा, जोधपुर