बालिका वंशिका ने बताया कि मंगलवार की घटना के बाद वे खुद डरी हुई हैं। बाहर निकलते वक्त मन में ख्याल आता है कि कोई मारपीट न कर दे। जैसे मान्या को मारा है, वैसे हमें भी मारेंगे। काव्या झालानी का कहना हैं कि इस तरह के खौफ का माहौल भुलाए नहीं भूल सकते हैं। वहीं रूपांशी कहती है कि इस उपद्रव से सभी ने अपना त्योहार ही बेकार कर लिया। गाडि़यां जलाना व तोड़-फोड करना अच्छी बात है क्या? इससे केवल माहौल ही खराब किया गया है।
हमसे किस बात का बदलाभीतरी शहर में छोटी बालिका के साथ हुए उपद्रव ने कई अभिभावकों को झकझोर दिया। पत्रिका से बातचीत में कुछ बालक-बालिकाओं ने कहा कि छोटे बच्चे तो ईश्वर का रूप होते हैं, उपद्रवियों को हमसे क्या खुनस थी, जो छोटे बच्चों को निशाना बनाया गया। इस डर के कारण कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को पूरे दिन बाहर जाने से रोके रखा।
मान्या व उसका परिवार बेंगलूरु रवाना तापी चौक नवाग्रहों का बास निवासी उपद्रव का शिकार हुई मान्या सिंघवी व उसका परिवार हिंसा के दूसरे दिन बेंगलूरु रवाना हो गया। हालांकि घर में मौजूद उसके दादा बता रहे हैं कि उनके पहले से बेंगलूरु के टिकट हो चुके थे। क्षेत्र में मान्या व उसके परिवार का जोधपुर छोड़ रवाना होना चर्चा का विषय रहा।