कुछ अरसा पहले जोधपुर थिएटर एसोसिएशन ने जोधपुर थिएटर फेस्टिवल और बीकानेर की चार रंग संस्थाओं ने बीकानेर थिएटर फेस्टिवल किए। यों कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन दोनों शहरों के कलाकार अब रंगकर्म के लिए अकादमी का मुंह नहीं ताकते।
जोधपुर में करीब एक दर्जन रंग संस्थाएं सक्रिय हैं। यहां टाउन हॉल खस्ताहाल है। अशोक उद्यान का ओपन एयर थिएटर पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। बजट घोषणा के अनुरूप बड़ा टाउन हॉल बनने में अभी समय लगेगा।
बीकानेर में रंगकर्म के नजरिये से बहुत अच्छा माहौल है। यहां रंगमंच के लिए रविन्द्र रंगमंच सहित पांच मंच हैं। पूर्व में महज एक टाउन हॉल था। आज स्थितियां बदल गई हैं। यहां एक वर्ष में सात से आठ थिएटर फेस्टिवल हो रहे हैं। बीकानेर में वर्तमान में 20 संस्थाएं नियमित नाटकों का मंचन कर रही है। वहीं करीब 250निर्देशक व इतने ही नाटककार और 50 से भी ज्यादा रंगकर्मी हैं। यहां नाटक मंचन के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। लंबे इंतजार के बाद बीकानेर के रंगकर्मियों को रविन्द्र रंगमंच तो मिला, मगर आज भी इसमें तकनीकी खामियां हैं।