---------
देश के किसी शहर से लगा सकेंगे बोली ई-आक्शन के जरिए क्रेताओं को आमंत्रित करने का दायरा भी बढ़ जाएगा। पहले निविदा की प्रक्रिया के लिए बोलीदाताता को मंडल कार्यालय में आना पड़ता था। मगर अब बोलीदाता किसी भी शहर में बैठकर बोली लगा सकेगा। इससे रेलवे को अधिक से अधिक बोलीदाताओं को आमंत्रित करना आसान होगा, बल्कि प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
देश के किसी शहर से लगा सकेंगे बोली ई-आक्शन के जरिए क्रेताओं को आमंत्रित करने का दायरा भी बढ़ जाएगा। पहले निविदा की प्रक्रिया के लिए बोलीदाताता को मंडल कार्यालय में आना पड़ता था। मगर अब बोलीदाता किसी भी शहर में बैठकर बोली लगा सकेगा। इससे रेलवे को अधिक से अधिक बोलीदाताओं को आमंत्रित करना आसान होगा, बल्कि प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
------------
ऑनलाइन भरी जाएगी निविदाएं रेल प्रशासन की ओर से वाणिज्यिक आय और गैर किराया राजस्व संबंधी अनुबंध जैसे पार्किंग, एसएलआर लीजिंग, पे एंड यूज, पार्किंग और पब्लिसिटी को ही ऑप्शन के माध्यम से पूरा करने का निर्णय लिया गया है। निविदा प्रक्रिया को अब ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से पूरा किया जाएगा।अब यह निविदाएं ऑनलाइन देखी और वहीं भरी जा सकेगी।
ऑनलाइन भरी जाएगी निविदाएं रेल प्रशासन की ओर से वाणिज्यिक आय और गैर किराया राजस्व संबंधी अनुबंध जैसे पार्किंग, एसएलआर लीजिंग, पे एंड यूज, पार्किंग और पब्लिसिटी को ही ऑप्शन के माध्यम से पूरा करने का निर्णय लिया गया है। निविदा प्रक्रिया को अब ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से पूरा किया जाएगा।अब यह निविदाएं ऑनलाइन देखी और वहीं भरी जा सकेगी।
---- टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा खत्म होगा
ई-ऑक्शन में न केवल समय की बचत भी होगी बल्कि कम समय में ऑक्शन कार्य पूरा किया जा सकेगा और पारदर्शिता होने के कारण आपसी विश्वास बढ़ेगा। मौजूदा प्रक्रिया की बात करें तो टेंडर बंद लिफाफे में भेजे जाते हैं। जिसमें टेंडर जमा करने से लेकर फाइनल होने तक की अलग-अलग तिथियां होती हैं। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है और फर्जीवाड़ा होन की आशंका ज्यादा रहती है। मगर ई-आक्शन के जरिए बोलीदाता ऑनलाइन बोली लगा सकेगा। नीलामी की बोली मूल्य भी हर कोई ऑनलाइन देख सकेगा, जबकि बंद लिफाफे में यह मुमकिन नहीं था।
---
ई-ऑक्शन में न केवल समय की बचत भी होगी बल्कि कम समय में ऑक्शन कार्य पूरा किया जा सकेगा और पारदर्शिता होने के कारण आपसी विश्वास बढ़ेगा। मौजूदा प्रक्रिया की बात करें तो टेंडर बंद लिफाफे में भेजे जाते हैं। जिसमें टेंडर जमा करने से लेकर फाइनल होने तक की अलग-अलग तिथियां होती हैं। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है और फर्जीवाड़ा होन की आशंका ज्यादा रहती है। मगर ई-आक्शन के जरिए बोलीदाता ऑनलाइन बोली लगा सकेगा। नीलामी की बोली मूल्य भी हर कोई ऑनलाइन देख सकेगा, जबकि बंद लिफाफे में यह मुमकिन नहीं था।
---