दल प्रशिक्षण के लिए आएगा सूडान के कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों का दल जोधपुर में मण्डोर कृषि विवि में प्रशिक्षण के लिए भी आएगा। फसल परीक्षण के बाद सूडान अपने यहां ग्वार की इण्डस्ट्री भी स्थापित करेगा।सूडान में ग्वार काउंसिल के राष्ट्रीय सलाहकार मोहम्मद इब्राहिम इस्माइल 23 अक्टूबर को जोधपुर आए।
विभिन्न स्थानों का दौरा किया उन्होंने काजरी के पूर्व वैज्ञानिक दलहन विशेषज्ञ डॉ डी कुमार के साथ जोधपुर व बीकानेर में विभिन्न स्थानों का दौरा किया। जोधपुर में उन्होंने बासनी कृषि मण्डी में ग्वार का जायजा लिया।
विश्वविद्यालय का निरीक्षण इसके बाद काजरी और मण्डोर कृषि विवि का निरीक्षण किया। यहां से वे बीकानेर गए जहां कृषि विवि में ग्वार के साथ मूंग-मोठ की तकनीक देखी। दस दिनों के दौरे के बाद वे सूडान लौट गए। इस्माईल के रिपोर्ट के बाद सूडान की ग्वार काउंसिल ने डॉ. कुमार और मण्डोर कृषि विवि से एमआेयू की अनुमति दे दी है।
राजस्थान और सूडान का मौसम एक जैसा अफ्रीका महाद्वीप के सूडान देश और राजस्थान में जलवायु परिस्थितियां करीब करीब मिलती है। जिससे वहां मूंग-मोठ और ग्वार की फसल बोई जा सकती है। ग्वार की फसल जुलाई से अक्टूबर में होती है। राजस्थान की तरह सूड़ान में भी इस समय तापमान 25 से 40 डिग्री के मध्य रहता है। वर्षा 200 से 500 मिलीमीटर होती है। वर्ष में ज्यादातर समय धूप भी खिली रहती है। वैसे सूडान में ग्वार की फसल होती है, लेकिन उसकी वैराइटी और तकनीक बहुत पुरानी है।
मूंग-मोठ की जल्दी पकने वाली फसल मांगी सूडान ने ग्वार के साथ मूंग-मोठ की जल्दी पकने वाली फसल की तकनीक मांगी है जो 60 दिन में फसल दे देवें। सूडान वहां ग्वार पैदा कर भारत में निर्यात भी करेगा।
-डॉ. डी कुमार, पूर्व दलहन वैज्ञानिक, काजरी