जोधपुर

टाइगर मैन पद्मश्री डॉ कैलाश सांखला स्मृति वन के लिए भूमि चयन पर मुहर

मंडोर बेरीगंगा वन क्षेत्र में २० करोड़ की लागत से बनेगा स्मृति वन
राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चंद्र कुलिश स्मृति वन की तर्ज पर होगा स्थल

जोधपुरApr 15, 2021 / 10:51 am

Nandkishor Sharma

टाइगर मैन पद्मश्री डॉ कैलाश सांखला स्मृति वन के लिए भूमि चयन पर मुहर

जोधपुर. देश मे वर्ष 197३ में प्रोजेक्ट टाइगर (बाघ परियोजना ) लांच करने वाले ‘टाइगर मैन ऑफ इंडिया जोधपुर निवासी व पद्मश्री डॉ कैलाश चन्द सांखला स्मृति वन के लिए भूमि चयन पर मुहर लग चुकी है। मंडोर आठ मील बेरीगंगा वन क्षेत्र में मंडोर पुलिस थाना के सामने स्थित क्षेत्र में करीब २० करोड़ की लागत से बनने वाला स्मृति वन राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चंद्र कुलिश स्मृति वन की तर्ज पर होगा। मुख्यमंत्री की ओर से वर्ष 2021 की बजट घोषणा में जोधपुर से नागौर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 62 के 8 मील क्षेत्र में पदमश्री कैलाशचंद सांखला स्मृति वन बनाए जाने की घोषणा की गई थी। जोधपुर निवासी पद्मश्री सांखला ने देश में वर्ष 197३ में बाघ परियोजना की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। स्मृति वन के लिए प्रस्तावित क्षेत्र वनखण्ड बेरीगंगा के अधीन है। यह क्षेत्र रक्षित वन के वैधानिक अस्तित्व को धारण करता है । मुख्य वन संरक्षक जोधपुर व जिला प्रशासन के अधिकारी क्षेत्र का अवलोकन कर कार्य की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयारियों में जुटे है। एेसा होगा स्मृति वन का प्रारूप क्षेत्र का विकास जयपुर में स्थित राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चन्द्र कुलिश स्मृति वन की तर्ज पर किया जाना प्रस्तावित है । स्मृति वन को बेहतर बनाने के लिए राज्य के अन्य स्मृति वनों के प्रारूप की भी सहायता ली जाएगी।
स्मृति वन में प्रस्तावित कार्यों का विवरण

स्मृति वन के लिए लगभग 200 हेक्टेयर वनक्षेत्र को कवर किया जाएगा। वनक्षेत्र में वृक्षारोपण , नेचर पाथ, प्रकृति उद्यान ग्रेडोनी , चैकडेम , तालाब सौंदर्यकरण , केटलगार्ड हट , जलग्रहण संरचनाएं एवं अन्य प्रकार के वानिकी विकास कार्य होंगे।
शहरवासियों को प्रकृति के साथ रहने का अवसर

जोधपुर शहर की शहरी सीमा में स्मृति वन के बनाए जाने से जोधपुर शहर के आम नागरिकों को प्रकृति के साथ रहने का अवसर उपलब्ध होगा । -एसआरवी मूर्थी, मुख्य वन संरक्षक जोधपुर
नवाचार से बचेंगे शहरी वनखण्ड

एेसे नवाचार से शहर के वनखण्ड को न केवल अतिक्रमण से बचाया जा सकता है बल्कि आमजन में भी वन और वन्यजीव संरक्षण की भावना विकसित होगी। डॉ. हेमसिंह गहलोत, सदस्य राज्य वन्यजीव बोर्ड राजस्थान

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