गोपाल नगर से बस में सवार हुआ था
समाजसेवी व युवक को ढूंढने में मददगार दीने खां खोखसर ने बताया कि मूलत: बाड़मेर हाल केरू निवासी हनीफ खान (19) पुत्र स्व.मांगू खां दो साल पहले गुजरात के गोपाल नगर स्थित बीकानेर स्वीट पर काम करता था। वर्ष 2016 में दीपावली से कुछ दिन पहले घर जाने के लिए वह गोपाल नगर से बस में सवार हुआ था, लेकिन वह घर नहीं लौटा था। मिठाई दुकान के संचालक ने आकलेश्वर थाने में हनीफ की गुमशुदगी दर्ज करवाई थी, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लग पाया।
समाजसेवी व युवक को ढूंढने में मददगार दीने खां खोखसर ने बताया कि मूलत: बाड़मेर हाल केरू निवासी हनीफ खान (19) पुत्र स्व.मांगू खां दो साल पहले गुजरात के गोपाल नगर स्थित बीकानेर स्वीट पर काम करता था। वर्ष 2016 में दीपावली से कुछ दिन पहले घर जाने के लिए वह गोपाल नगर से बस में सवार हुआ था, लेकिन वह घर नहीं लौटा था। मिठाई दुकान के संचालक ने आकलेश्वर थाने में हनीफ की गुमशुदगी दर्ज करवाई थी, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लग पाया।
सकुशल होने की आस जगी
पिता पहले ही दुनिया छोड़कर जा चुके थे। बीमार मां अपने पुत्र के लापता होने से चिंतित रहने लगी थी। एक साल पहले उसकी भी मृत्यु हो गई थी। इस बीच, गत बुधवार को हनीफ ने विवाहित बहन के मोबाइल पर वीडियो कॉल करके बात की। उसने पहले खुद के अजमेर और फिर मुम्बई में होने की जानकारी दी। पूरी बात होने से पहले फोन कट गया था। इससे परिजन को उसके सकुशल होने की आस जगी।
पिता पहले ही दुनिया छोड़कर जा चुके थे। बीमार मां अपने पुत्र के लापता होने से चिंतित रहने लगी थी। एक साल पहले उसकी भी मृत्यु हो गई थी। इस बीच, गत बुधवार को हनीफ ने विवाहित बहन के मोबाइल पर वीडियो कॉल करके बात की। उसने पहले खुद के अजमेर और फिर मुम्बई में होने की जानकारी दी। पूरी बात होने से पहले फोन कट गया था। इससे परिजन को उसके सकुशल होने की आस जगी।
मोबाइल नम्बर के आधार पर तलाश तेज की गई। उसकी लोकेशन अजमेर आने पर समाज से जुड़े लोग अजमेर जा पहुंचे और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के सहयोग से तीन दिन की मेहनत के बाद रविवार को उसे अंधेरी गेट के पास ढूंढ निकाला। जिसे लेकर सभी शाम को जोधपुर पहुंच गए।
छोटे को दो साल बाद देख बड़े भाई के आंसू निकले वर्ष 2016 में गायब होने के बाद हर संभावित ठिकानों पर तलाश की गई, लेकि हनीफ का कोई पता नहीं लग पाया। इस बीच, बीमार मां एक साल बाद सदमे से दुनिया छोड़ गई। परिजन ने उसके जीवित होने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन वीडियो कॉल ने सबके चेहरों पर खुशी ला दी थी। फिर से तलाश शुरू की गई। तीन दिन बाद वह मिल गया। उसे जोधपुर लाकर बड़े भाई रफीक को सुपुर्द किया गया। तो बड़े भाई सहित घटनाक्रम देखने वालों की आंखों से आंसू निकल आए।
व्हॉट्सएेप ग्रुप बनाकर जुटे तलाश की मुहिम में मूक बधिर रफीक को अपने भाई के लिए कोई मदद नहीं मिल पा रही थी। गुमशुदगी भी गुजरात में दर्ज थी। एेसे में यहां उसकी कोई सहायता नहीं कर पा रहा था। वीडियो कॉल आने पर हनीफ के जीवित होने की उम्मीद जगी थी। जैसलमेर के समाजसेवी दीने खां ने व्हॉट्सएेप पर एक ग्रुप बनाया। जिसमें पुलिस के साथ ही मीडिया के लोगों को जोड़ा और हनीफ की तलाश में जुट गए। पुलिस से मिल रही लोकेशन के आधार पर तलाश आगे बढ़ती गई और आखिरकार रविवार को उसे ढूंढ लिया गया।