डायफ्रॉम हर्निया का जोधपुर में अनूठा मामला, एमडीएम में सफल सर्जरी
जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियक थोरेसिक वेस्क्यूलर सर्जरी विभाग में डायफ्रार्म हर्निया से पीडि़त एक पांच वर्षीय बालिका की सर्जरी की गई। इस दुलर्भ बीमारी का ऑपरेशन भी चिकित्सकों ने बड़ी संजीदगी के साथ किया। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ व सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा ने बताया कि ये बालिका डायफ्राम हर्निया से पीडि़त थी। इस बीमारी में पेट के सारे भाग छाती में चले जाते है। जिसमें आंत व लीवर शामिल होते है। दूसरा डुप्लीकेशन बीमारी से भी बालिका पीडि़त थी, इसमें आंतों का दूसरा भाग आंतों में एक और बन जाता है। पूरे विश्व में पहला केस है, दोनों बीमारी का एक साथ कहीं उल्लेख नहीं है। ऑपरेशन कार्डियक थोरेसिक सर्जन डॉ सुभाष बलारा, डॉ अवधेश शर्मा और डॉ विवेक राजदान ने किया। इसमें निश्चेतना विभाग के डॉ राकेश कर्नावट, डॉ चंदा खत्री एवं डॉ शिल्पी राड़ा ने सहयोग किया। ऑपरेशन संगीता एवं लीला का भी सहयोग रहा। जानिए पूरे ऑपरेशन की पेचिदगी उन्होंने बताया कि गत 23 जुलाई को ऑपरेशन की शुरूआत दायीं तरफ थोरेकोटोमी (छाती खोलना ) से की गई और ऑपरेशन के दौरान पाया गया कि डायफ्रा की ओपनिंग जिसमें महाशिरा जाती है वहां से आंतो ने आकर दायी तरफ छाती में आकर दाएं फेफ ड़े को दबा दिया है। पहले दाएं फेफ ड़े को गांठ से अलग किया गया, बाद में पाया गया कि गांठ को महाशिरा से भी शाखाएं जोड़ रही है। इन शाखाओं को भी बांधा गया और महाशिराओं से अलग किया गया। बालिका की लेपेरोटोमी की गई । एब्डोमन ओपन करने पर पाया गया कि पेट की सारी आंते सामान्य है। पेट वाले हिस्से को डायफ्र ाम से देखा गया तो पाया गया कि अलग से ड्यूडोनम की गांठ है, जो द्वितीय भाग से निकल रही है। इस पूरे हिस्से को हटाया गया और ड्यूडोनम को द्वितीय भाग के डबल लेयर से रिपेयर किया गया। नाक की नली को एनास्टोमोसिस साइट से आगे रखा गया । ऑपरेशन के सात दिन बाद सारी नलिया निकाल दी गई । अभी बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
इसलिए हैं दुलर्भ मामला यह मामला दुर्लभतम इसलिए है जन्म से डायफ्र रम हर्निया के मामले एक लाख से 20 केस में मिलते है। उसमें भी बायीं तरफ 85 प्रतिशत और दांयीं तरफ 15 प्रतिशत ही होते है। आंतों की डुप्लीकेशन सिस्ट 25000 में एक से ही होती है उसमें से थोरेक्स वाले इसोफेगस में होते है एवं ड्यूडोनम की 25 प्रतिशत होती है। चिकित्सकों ने कहा कि ड्यूडोनम की डुप्लीकेशन सिस्ट का इतना बड़ा होकर डायफ्र ाम महाशिरा के साथ फेफ ड़ों तक पहुंच जाना ये विश्व का दुर्लभतम मामला है।
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