निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. जेसी मालू ने बताया कि यह किशोरी उनके अस्पताल में भर्ती थी, जिसे बाद में एमडीएम अस्पताल भेजा गया। उसे डेंगू पॉजिटिव था। डेंगू से उसकी प्लेट्लेट्स गिर गई। लीवर में इंफेक्शन आदि हो गए थे। अस्पताल में तीन-चार दिन भर्ती रही, उसके बाद परिजन एमडीएम ले गए। उधर, एमडीएम अस्पताल के डॉ. अरविंद जैन ने बताया कि मरीज बाहर से डेंगू पॉजिटिव आया था। जब तक डेंगू एलिजा टेस्ट से तय नहीं होता, तब तक सरकार नहीं मानती। बाहर के अस्पतालों में कार्ड टेस्ट होता है। मरीज कार्ड टेस्ट से पॉजीटिव थी। यहां किशोरी की मौत का प्रमुख कारण सेप्टिसीमिया रहा। अस्पताल से पुष्टि नहीं हो पाई है कि उसकी एलाइजा टेस्ट के लिए सैंपल भेजा गया या नहीं। शहर में गुरुवार को डेंगू के 4 मरीज पॉजीटिव मिले, जबकि इस दिन 19 सैंपल लगे थे। चिकनगुनिया के 40 सैंपल लगे, जिसमें 11 मरीज पॉजीटिव मिले। इस दिन एच-1एन-1 की रिपोर्ट शून्य आई, इसके लिए दो सैंपल लगे थे।
स्ट्रेन बदलने के कारण कारगर नहीं वैक्सीन
डेंगू के वायरस बहुत जल्दी अपना स्ट्रेन बदलते है। मानव जो कार्य एक शताब्दी में करता है, वही कार्य वायरस एक दिन में कर लेते हैं। इसकी नई जनरेशन जल्दी-जल्दी सामने आती है। इसी कारण से वैक्सीन ज्यादा प्रचलन में नहीं आया है। डेंगू वायरस ने कितने स्ट्रेन बदले हैं। इस पर रिसर्च चल रहा है। इसके साइड इफैक्ट भी पाए गए हैं। वैक्सीन 20 से 30 फीसदी तक गंभीर बीमारियों को रोकता है। दूसरे देशों में परीक्षण के तौर पर चल रहा है। भारत में भी बनने के प्रयास चल रहे हैं। – डॉ. आलोक गुप्ता, वरिष्ठ आचार्य, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
डेंगू के वायरस बहुत जल्दी अपना स्ट्रेन बदलते है। मानव जो कार्य एक शताब्दी में करता है, वही कार्य वायरस एक दिन में कर लेते हैं। इसकी नई जनरेशन जल्दी-जल्दी सामने आती है। इसी कारण से वैक्सीन ज्यादा प्रचलन में नहीं आया है। डेंगू वायरस ने कितने स्ट्रेन बदले हैं। इस पर रिसर्च चल रहा है। इसके साइड इफैक्ट भी पाए गए हैं। वैक्सीन 20 से 30 फीसदी तक गंभीर बीमारियों को रोकता है। दूसरे देशों में परीक्षण के तौर पर चल रहा है। भारत में भी बनने के प्रयास चल रहे हैं। – डॉ. आलोक गुप्ता, वरिष्ठ आचार्य, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज