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जोधपुर में सामने आए अनोखे मामले, मां का प्यार नहीं मिलने से ढाई हजार मासूम कुपोषण का शिकार

locationजोधपुरPublished: Aug 25, 2017 05:34:00 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

जोधपुर में कुपोषण के अजीबोगरीब मामले सामने आए हैं, जिनमें मां का प्यार ना मिलने से हजारों बच्चे कुपोषित हो गए।
 

2500 kids are struggling of malnutrition due to lack of mothers love

2500 kids are struggling of malnutrition due to lack of mothers love

कुपोषण का नाम लेते ही जेहन में एक सवाल पैदा होता है कि बच्चे को जरूर भोजन की कमी रहेगी होगी, लेकिन इस बीमारी को केवल और केवल भोग का रोग बताना नासमझी है। चिकित्सकीय अनुसंधान के दौरान इसके कई मानवीय और चिकित्सकीय पहलू सामने आए हैं, जो इस रोग को बढ़ावा देते हैं। पिछले सात बरसों के दौरान जोधपुर के विभिन्न कुपोषण केन्द्रों पर कुपोषण के ढाई हजार से अधिक मामले पहुंचे हैं। इनमें मां का समय पर स्तनपान और स्नेह को बड़ी तवज्जो दी गई है। यह बात डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. अनुरागसिंह के इंडियन पीडियाट्रिक में प्रकाशित जनरल में सामने आई है।
कुपोषण से बचाने के लिए मां का स्नेह जरूरी
इस रिसर्च में कुपोषित बच्चों कीमाताआें और परिजनों के समक्ष ४२ तरह के सवाल रखे गए। जिनमें प्रमुखत: यह तथ्य पाया गया कि कुपोषित बच्चों की मांओं ने स्तनपान के साथ-साथ स्नेह में भी कमी रखी। यह उपेक्षित रवैया कई बच्चों के लिए कुपोषण का कारण बना। अधिकतर मांओं ने माना कि घटते वजन के दौरान वे अपने बच्चे से थोड़ा दूर रही थीं। इस रिसर्च में इस पहलू को सबसे अधिक तवज्जो दी गई।
यूरीनरी टै्रक इन्फैक्शन का खतरा ज्यादा


वहीं कुपोषित बच्चों में यूरीनरी ट्रैक इन्फेक्शन के मामले ज्यादा मिले हंैं। ज्यादातर चिकित्सकों को शिकायत मिलती है कि कुपोषित बच्चों के खुराक लेने के बावजूद उनका वजन नहीं बढ़ा। जिसमें सामान्यत चिकित्सकों को शक केवल पेट में संक्रमण व अन्य संक्रमण पर जाता है। वहीं दूसरी ओर पश्चिमी राजस्थान में यूरीनल ट्रैक इन्फैक्शन के मामले ज्यादा मिले, जो बाद में मुश्किल से पकड़ में आए।
यूं रखें स्तनपान में सावधानी

डॉ. सिंह के अनुसार नॉर्मल प्रसव में माताओं को आधे घंटे के अंदर ही बच्चे को स्तनपान करवाना चाहिए। इसके अलावा सिजेरियन प्रसव के दौरान ऑपरेशन थिएटर से वार्ड में शिफ्ट होते ही जितना जल्दी हो सके स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए। ज्यादातर जगह इन्हीं कमियों के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं।
डिब्बा बंद दूध और पैकेट फूड से खतरा

ज्यादातर माएं छह महीने के स्तनपान के बाद अपना दूध नहीं देती हैं। यह वजह भी आगे जा कर कुपोषण का कारण बन सकती है। मांओं को ० से ६ माह तक शत प्रतिशत का स्तनपान, ६ माह से १ साल तक ५० प्रतिशत और १ से २ वर्ष के मध्य ३० प्रतिशत स्तनपान करवाना चाहिए। इससे प्रोटीन और कैलोरी की कमी शत प्रतिशत पूरी होती है। इससे ज्यादा समय तक स्तनपान करवाएं तो भी शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है। छह महीने बाद शिशु को दलिया, चावल और गुड़ की गलवानी सहित कई पौष्टिक आहार खिलाना चाहिए, ताकि बच्चे में प्रोटीन की जरूरत पूरी हो सके। इसके अलावा डिब्बा बंद दूध और डिब्बे वाले पौष्टिक आहार से भी मांओं को बच्चों को बचाना चाहिए।

कम उम्र में मां की शादी और बच्चा कमजोर

डॉ. अनुरागसिंह ने बताया कि अक्सर देश के कई राज्यों में बेटियों को बेटों के बजाय कम खाना खिलाया जाता है। यह भेदभाव भी कुपोषण को बढ़ावा देने में सहायक हुआ है। इसके बाद कमजोर बेटियों की कम उम्र में शादी रचा दी जाती है। इनमें से निकले ज्यादातर बच्चे कुपोषित होते हैं। जो प्री मैच्योर व कम वजन वाले बच्चे होते हैं। ये बच्चे आगे जाकर कुपोषण का सबसे प्रमुख कारण बनते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में कुपोषण के आंकड़े

साल – मामले – मौत
२०११ – २५६ – ०

२०१२ – ४०८ – ०
२०१३ – ३१३ – ३

२०१४ – ३१३ – १
२०१५ – ४३३ – ३
२०१६ – ४२४ – ०
२०१७ – ४७३ – ०

(इस सारणी में २०१५ तक के आंकड़े जिले के हैं। शेष दो साल के आंकड़े शहर के पावटा जिला और मथुरादास माथुर अस्पताल से हैं।)
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