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अब कोर्ट के बाहर भी आसाराम का प्रवचन, मन के फंसने पर कह दी ये बात…

locationजोधपुरPublished: Jan 19, 2018 05:11:58 pm

आसाराम ने कोर्ट में प्रवेश करते वक्त प्रवचन सुनाए
 

asaram preaching in Jodhpur court premises

asaram preaching in Jodhpur court premises

अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में आरोपी कथावाचक आसाराम ने शुक्रवार को अनुसूचित जाति जनजाति के विशिष्ट न्यायालय में पेश होने के दौरान कहा कि ‘मन को फंसने मत दो, मन जहां उठता है वहां गोता लगाता है।’ जानकार इस वक्तव्य को आसाराम को हुए आत्म बोध होने से जोड कर देख रहे हैं। पुलिस की कड़ी सुरक्षा के साथ दोपहर ढाई बजे आसाराम को न्यायालय परिसर लाया गया। परिसर में आज भी 100 से अधिक समर्थक आसाराम को देखने खड़े थे। आसाराम आज बाकी दिनों से अपेक्षाकृत अधिक शांत तथा गम्भीर लग रहा था। पुलिस के बख्तरबंद वाहन वज्र से उतरकर लिफ्ट तक जाते हुए आसाराम ‘खुदा खैर करे लीला लहर करे’ गुनगुना रहा था। आगे कहा कि खाओ पीओ पर मन को कहीं फसने मत दो। मन जहाँ से उठता है वहाँ गोता लगवाता है ।
कोर्ट रूम में आसाराम के खिलाफ चल रहे बहुचर्चित नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले अंतिम बहस शुरू हो चुकी है। आरोपी के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अंतिम बहस शुरू की।

4 साल 4 महिने और 19 दिन से जेल में बंद है आसाराम
1 सितम्बर 2013 से जोधपुर के केन्द्रीय कारागार में बंद आसाराम पर 14 -15 अगस्त 2013 की रात को जोधपुर से 35 किलोमीटर दूर मणाई गाँव के एक फार्म हाउस के एक कमरे में अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार का संगीन आरोप है। पुलिस ने आसाराम के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत चालान पेश किया था, जिसकी ट्रायल जोधपुर की एससीएसटी कोर्ट में चल रही है। पीडि़ता मध्यप्रदेश के छिंदवाडा़ स्थित आश्रम में पढ़ती थी । बताया जाता है कि छिंदवाडा़ आश्रम का संचालन आसाराम के द्वारा ही किया जाता था।
86 दिन से जारी है अंतिम बहस

आसाराम मामले में बचाव पक्ष के 31 गवाहों के बयान होने के बाद से 86 दिन से अंतिम बहस जारी है। अभी यह एक महीना और चलने की संभावना है । गुरुवार को आसाराम की उपस्थिति में उनके अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अभियोजन के गवाह नम्बर पांच जया कामत के बयानों पर बहस की। अधिवक्ता ने कहा कि यदि बचाव पक्ष के तथ्य आधारहीन हैं तो वह गलत साबित करने का भार अभियोजन पर है, अन्यथा बचाव पक्ष की दलील स्वीकार की जाए।

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