पहले प्रयास में चयन पुनमचंद का इस प्रतियोगिता में पहले प्रयास में चयन हुआ है। इस प्रतियोगिता में चयन और जितने के लिए इन्होनें घर पर ही मेहनत की। इसके लिए ये कई महीनों से प्रयास कर रहे थे।
सफलता का श्रेय माता-पिता को इस प्रतियोगिता में सलेक्शन का श्रेय पुनमचंद अपने माता- पिता को देते हैं। इनका कहना है कि इनके पिताजी ने ही इनके प्रेरणास्त्रोत हैं। इनको खेल कूद संबंधी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए इनके पिताजी ने ही इनक ो प्ररित किया था। इस प्रतियोगिता में चयन और जितने के लिए घर पर ही माता-पिता का सहयोग मिला जिससे इन्होनें इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।
पुनमचंद के पिताजी पेशे से शिक्षक है और माता ग्रहीणी है। घर में शिक्षा का माहौल होने के बाद भी इनका मन खेलों क ी आेर अधिक लगा रहा। इनके भाई ने इन्हें इस प्रतियोगिता के बारें में जानकारी दी। बाद में ये इंटरनेट के सहारे ही इस प्रतियोगिता में जुट गए। शुरूआत से ही खेल में रूचि रखने वाले पुनमचंद का सपना है कि वे इंटरनेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन करें। इस प्रतियोगिता में चयन और जितने के लिए इन्होनें घर पर ही मेहनत की। इसके लिए ये कई महीनों से प्रयास कर रहे थे। आखिरकार इनका यह सपना सच हो ही गया।
पढ़ाई में भी प्रथम पुनमचंद खेलों के साथ ही पढ़ाई मे भी बहुत होशियार हैं। इनके पिताजी शिक्षक है इसलिए इनको शिक्षण संबंधि कभी समस्या नहीं आई। ये किया खिताब अपने नाम
पुनमचंद को मुबंई में हो रही बीट द रिकोर्ड में प्रथम पुरस्कार मिला हैं। इन्होनें एक मिनट में सबसे ज्यादा पुश-अप लगाने का रिकांेर्ड अपने नाम किया हैं। पुनमचंद का इस प्रतियोगिता में पहले प्रयास में चयन हुआ है। इस प्रतियोगिता में चयन और जितने के लिए इन्होनें घर पर ही मेहनत की। इसके लिए ये कई महीनों से प्रयास कर रहे थे। १७ वर्ष की उम्र में से खिताब जितना इनके लिए ज्यादा कठिन नहीं था।