शिवसेना के वरिष्ठ सदस्य वीरेंद्र देव अवस्थी ने बताया कि प्लास्ट ऑफ पेरिस की मूर्तियों का देर रात तक उपनगरीय विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न जलाशयों में विसर्जन कर दिया गया। विसर्जन टीम के सूर्यबहादुर ने बताया कि रात दस बजे तक करीब २१५ मूर्तियां विसर्जित की गईं। विसर्जन में अनिलसिंह टाक, कपिल, गौरव, हर्षित, प्रेमसिंह, विक्रम परिहार, मंछाराम, उमेश शर्मा, विक्रम सोलंकी, कपिल पंवार, नीरज सोनी, महादेव परिहार, सुनील सोलंकी ने सहयोग किया। गुलाब सागर जलाशय की सुरक्षा दीवार के पास लगी जालियों के पास गणपति विसर्जन देखने की इजाजत नहीं होने के कारण श्रद्धालु निराश नजर आए। जिला प्रशासन ने लोहे के बेरियर लगाए। जलाशय परिसर में लगे दोनों पम्प लंबे समय से खराब होने की वजह से पानी का स्तर बढऩे के कारण विसर्जन करने में जुटी टीम के सदस्यों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
प्रशासन पीछे हटा का विसर्जन करने लगे शिवसेना शिवसेना ने गुलाब सागर मूर्ति विसर्जन को लेकर धरना दिया कि उन मूर्तियों का पहले विसर्जन किया जाए जो वहां पहले सू मौजूद हैं। फिर उनकी मूर्ति का विसर्जन होगा। रात को लगभग 2.३0 बजे तक भी प्रशासन व शिवसेना में कोई समझौता नहीं हो पाया। इसके बाद अगले दिन विसर्जन करने की बात हुई। रात करीब ३.३० बजे प्रशासन पीछे हटा और शिवसैनिकों ने विसर्जन किया।
शिवसेना जिला प्रमुख से वार्ता विफल
शिवसेना जिला प्रमुख संपत पुनिया का कहना था कि 11 दिवसीय महोत्सव तब तक पूर्ण नहीं होगा जब तक गुलाब सागर जलाशय परिसर में रखी प्लास्टर ऑफ पेरिस की करीब 80 मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाएगा। पुलिस अधिकारी समझाने लिए शिवसेना जिला प्रमुख के पास पहुंचे। विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों सहित संत हरिराम शास्त्री भी गुलाब सागर पहुंचे, लेकिन तब कोई हल नहीं निकल पाया था। पुलिस अधिकारियों ने विसर्जन के लिए दो स्थानों के विकल्प शिवसेना के समक्ष रखे थे, जिस पर शिवसैनिक, विश्व हिंदू परिषद, संत हरिराम शास्त्री सभी मिल जुलकर मंथन कर रहे थे।
शिवसेना जिला प्रमुख संपत पुनिया का कहना था कि 11 दिवसीय महोत्सव तब तक पूर्ण नहीं होगा जब तक गुलाब सागर जलाशय परिसर में रखी प्लास्टर ऑफ पेरिस की करीब 80 मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाएगा। पुलिस अधिकारी समझाने लिए शिवसेना जिला प्रमुख के पास पहुंचे। विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों सहित संत हरिराम शास्त्री भी गुलाब सागर पहुंचे, लेकिन तब कोई हल नहीं निकल पाया था। पुलिस अधिकारियों ने विसर्जन के लिए दो स्थानों के विकल्प शिवसेना के समक्ष रखे थे, जिस पर शिवसैनिक, विश्व हिंदू परिषद, संत हरिराम शास्त्री सभी मिल जुलकर मंथन कर रहे थे।