जोधपुर

video : जोधपुर में जानलेवा स्वाइन फ्लू : 37 दिन, 93 मरीज, 22 मौतें

जोधपुर के बाशिंदों पर स्वाइन फ्लू कहर बरपा कर रहा है। अब 37 दिन में स्वाइन फ्लू के 93 मरीज सामने आए, इनमें से 22 की मौत हो गई।

जोधपुरFeb 07, 2018 / 10:58 am

Abhishek Bissa

swine flu

जोधपुर . कुछ दिन के लिए धीमा पड़ा स्वाइन फ्लू का असर वापस कहर बन कर टूटना शुरू हो गया है। इस साल ३७ दिन में स्वाइन फ्लू के ९३ रोगी सामने आए। इनमें २२ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों से इसका असर कम हो गया था, जो दो दिन से वापस तेज हो गया है। सोमवार को मौसम में आए बदलाव के बाद ६ मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई थी। मंगलवार को भी ३ नए रोगी सामने आए। तीनों महिलाएं ही हैं। तीनों की उम्र भी २२ से ३३ साल है।
 

दो रोगी जोधपुर, एक बाड़मेर का

मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायलॉजी लैब में मंगलवार को जांच के लिए २५ नमूने आए थे। इनमें से तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। इसमें दो रोगी जोधपुर जिले के हैं और एक बाड़मेर जिले का है। पिछले दो दिन में बाड़मेर जिले से दो मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। जानकारी के अनुसार बाड़मेर जिले के गिड़ा क्षेत्र की निवासी २४ वर्षीय महिला, जोधपुर जिले के रोहिचाकलां निवासी २२ वर्षीय महिला और कुड़ी हाउसिंग बोर्ड निवासी ३३ वर्षीय महिला में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। सभी स्वाइन फ्लू के नए रोगियों का आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है।
 

बच्चों में तेजी से फैल रहा

बच्चों में भी स्वाइन फ्लू तेजी से बढ़़ रहा है। इस मर्ज के मरीज रोजाना बढ़ रहे हैं। सरकार और चिकित्सा प्रशासन इन पर रोक लगाने में नाकाम रहे हैं। हालत यह है कि चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रशासन नींद ले रहा है और लचर चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। यही कारण है कि जोधपुर में स्वाइन फ्लू रोगियों की तादाद में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है।
 

जब भागा था स्वाइन फ्लू रोगी

पिछले दिनों मथुरादास माथुर अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती एक और मरीज विगत भाग खड़ा हुआ था। मरीजों के बिना बताए चले जाने की यह तीसरी घटना थी। आइसोलेशन वार्ड छोड़ कर मरीजों के भागने की घटना के पीछे अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि मरीजों को एक दो दिन में वैसे भी छुट्टी मिलने ही वाली थी, लेकिन परिजन उनको पहले ही घर ले गए। अस्पताल प्रशासन के इन दावों का मरीजों के भागने की घटनाएं पोल खोल रही हैं। स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों के भागने का समय अलसुबह का रहा, जबकि तब तक न तो ओपीडी शुरू होती है और न ही वार्ड में भर्ती मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर ही आते हैं।
 

 

 

 

 

 

संबंधित विषय:

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.