scriptvideo धींगा गवर मेले में 15 किलो सोने के जेवरात से सजी गवर, हार की कीमत 35 लाख से ज्यादा | Video Dhinga Gawar fair: statue decorated with 15 kg gold jewelery | Patrika News

video धींगा गवर मेले में 15 किलो सोने के जेवरात से सजी गवर, हार की कीमत 35 लाख से ज्यादा

locationजोधपुरPublished: Apr 03, 2018 09:05:17 pm

Submitted by:

M I Zahir

धींगा गवर मेले में तीजणियों और महिला दर्शनार्थियों की सर्वाधिक पसंदीदा प्रतिमा

Golden Gawar

Gold deceorated Gawar

जोधपुर . शहर परकोटे में अनूठे धींगा गवर मेले के लिए इस बार भी सुनारों की घाटी में गवर प्रतिमा पर करीब 15 किलो सोने के जेवरात का शृंगार किया गया। ध्यान रहे कि सुनारों की घाटी में विराजित की जाने वाली गवर प्रतिमा शहर की सर्वाधिक आकर्षक गवर प्रतिमा मानी जाती है।
धींगा गवर मेले का विस्तार

धींगा गवर मेला कमेटी सुनारों की घाटी के संयोजक कृपाराम सोनी ने पत्रिका को बताया कि 60 साल पहले रामस्वरूप सोनी ने क्षेत्र में गवर मेले की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे बढ़ कर यह संख्या 20 से ज्यादा जगह पर होने के कारण धींगा गवर मेले का विस्तार होने लगा है।
तीजणियों में सर्वाधिक आकर्षण

गवर शृंगार में विशुद्ध स्वर्ण निर्मित आभूषण ही इस्तेमाल होने से गवर पूजने वाली तीजणियों सहित सभी दर्शनार्थियों में इसके प्रति विशेष आकर्षण रहता है। सुनारों की घाटी के गवर दर्शन किए बिना कोई भी तीजण अपने घर नहीं लौटती है। इसके दर्शन करना शुभ माना जाता है।
हार की कीमत 35 लाख से ज्यादा

गवर शृंगार में मुकुट, रखड़ी सेट, शीश फूल, नथ, तीमणियां, रामनवमी, चंदन हार, मोतियों की रामनवमी, हथफूल, पुणची, गजरा, चूडिय़ां, पाटला, गोखरू, मंगलसूत्र, बाजूबंद, रत्नजडि़त तिलक, कंगन, हथफूल, नेकलेस और बजरकंठी सहित करीब 1४ से १५ किलो नए डिजाइन के स्वर्ण आभूषणों का शृंगार के लिए प्रयोग किया गया। इनमें गवर प्रतिमा के शीश पर हीरे से बने छोटे हार की कीमत 35 लाख से ज्यादा है। उन्होंने बताया कि स्वर्णकार बंधु व क्षेत्रवासी गवर सजाने के लिए जिस विश्वास के साथ आभूषण लाकर देते है उसी विश्वास के साथ दूसरे दिन पुन: उन्हें मोई की प्रसादी के साथ लौटाया भी जाता है।
गवर वेशभूषा भी सोने चांदी के तार से बनी हुई
आभूषणों के अलावा गवर वेशभूषा भी हर साल नई होती है। इस वेशभूषा की कीमत भी लाखों में होती है। संयोजक कृपाराम ने बताया कि विशुद्ध सोने व चांदी के तार से निर्मित गवर की वेशभूषा करीब चार लाख की है। गवर किलंगी व गले में हीरे जड़े हुए हैं। इस बार गवर के शृंगार में कमेटी के वरिष्ठ सदस्य रूपराम, रामस्वरूप, कृपाराम, रवि, आनंद, श्रीकिशन, अंनतराम, देवेश, काजू, गणपत, तनिश्क, ऋतिक और बालकिशन ने भी सहयोग किया।
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