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जोधपुर में व्यवसाय बन गई शिक्षा, शिक्षा विभाग सो रहा नींद में

locationजोधपुरPublished: Jan 14, 2018 05:42:01 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

स्कूल के समय कोचिंग में पढ़ रहे बच्चे, पत्रिका का एक और स्टिंग

Education in Jodhpur

Education in Jodhpur

स्कूल के समय कोचिंग में पढ़ रहे बच्चे

पत्रिका का एक और स्टिंग
जोधपुर . हमारा बच्चा काबिल बने, शिक्षा की प्रतिस्पर्धा में पीछे न रह जाए। इन्हीं जज्बात को लेकर अभिभावक शानदार कोचिंग देकर बच्चों का भविष्य बना रहे हैं। इसी का फायदा उठा कर जोधपुर में कई निजी शिक्षण संस्थान मुंह मांगे दाम वसूल कर रहे हैं। इस बीच निजी शिक्षण संस्थान गैर कानूनी कार्य करने से नहीं चूक रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने सूथला क्षेत्र में स्टिंग के बाद शनिवार को रामेश्वरनगर बासनी क्षेत्र में एक और स्टिंग किया, जहां एक विद्यालय 15 हजार रुपए फीस लेकर बच्चों को पाल रोड स्थित एक कोचिंग सेंटर पर भेजता है। साथ ही कोचिंग सेंटर और स्कूल की ऐसी साठगांठ है कि बच्चे को नियमित स्कूल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। आलम यह है कि शहर में इन दिनों कई बच्चे स्कूल समय में कोचिंग में पढ़ते हैं। इन सभी बातों को जानते हुए भी शिक्षा विभाग नींद में है।
बच्चे को डॉक्टर बनाने का ख्वाब लेकर पहुंचे कोचिंग
पत्रिका टीम सर्वप्रथम पाल रोड स्थित एक कोचिंग पहुंची। वहां कई स्कूली बच्चे बाहर और अंदर खड़े थे। यहां स्वागत कक्ष पर कार्यरत युवती से बातचीत हुई। उन्होंने अंदर एक पुरुष परामर्शदाता से मिलवाया। पत्रिका रिपोर्टर ने अभिभावक बनकर बताया कि उनका बच्चा पाली की एक स्कूल में दसवीं में पढ़ता है। साइंस बायलॉजी लेगा, आगे जाकर उसे डॉक्टर बनाना है। परामर्शदाता ने पूरा पैकेज बताया। पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर एक 35 प्रतिशत छूट की स्कीम भी बताई। उसके बाद उन्होंने एक युवती परामर्शदाता से मिलवाया, जिन्होंने फीस की पूरी दर समझाई। इस महिला ने बताया कि स्कूल और कोचिंग दोनों में दाखिला लेने के बाद स्कूल, कोचिंग व रजिस्ट्रेशन फीस की दर 81 हजार 1 सौ 90 रुपए रहेगी। केवल कोचिंग फीस 66 हजार 1 सौ 90 रुपए बताई गई। यह सभी बातचीत कक्षा ग्यारहवीं के आगामी सत्र के लिए हुईं थी। यहां संशय दूर किया गया कि उनके बच्चों को रैगुलर स्कूल नहीं जाना पड़ेगा। वह स्कूल समय में केवल कोचिंग सेंटर आएगा।

फरवरी में आकर बात कर जाओ

इसके बाद सीधे रामेश्वरनगर बासनी स्थित कोचिंग की साठगांठ वाली निजी स्कूल जाकर सम्पर्क किया गया। जहां प्रवेश करते ही प्रिंसिपल मिल गए। उन्होंने शुरुआत में कहा कि स्कूल अलग है और कोचिंग अलग है। प्रिंसिपल को विश्वास में लेकर बताया कि हम अभिभावक हैं, जिन्हें कोचिंग सेंटर से आपकी स्कूल का नाम बताया गया। यह भी कहा कि हम पाली से आए हैं, इस कारण बच्चे केलिए स्कूल भी आज देखने के लिए आ गए। इस दौरान प्रिंसिपल ने फरवरी में आने की बात कही। यह भी स्वीकार किया कि कोचिंग जाने के बाद स्कूल आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि कोचिंग सेंटर का एक गैर कानूनी करार क्षेत्र के आसपास एक और स्कूल से भी है।

प्रेक्टिकल व परीक्षाओं के दिनों में आते हैं बच्चे जानकार बता रहे हैं कि शिक्षा विभाग की ओर से हाल ही हुई जिला समान अद्र्धवार्षिक परीक्षा में पाल रोड स्थित कोचिंग सेंटर के बच्चे दो-तीन बसों से भरकर रामेश्वरनगर बासनी स्थित निजी स्कूल में उतरे थे। उस समय एक साथ इतने बच्चे देख कर क्षेत्रवासी भी हैरत में पड़ गए। इन बच्चों का रैगुलर प्रवेश रामेश्वर नगर की इसी निजी स्कूल में है, लेकिन वे स्कूल नहीं आकर केवल कोचिंग सेंटर जाते हैं। वहां उन्हें इंजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई करवाई जाती है। ये बच्चे केवल प्रेक्टिकल व परीक्षाओं के दिनों में आते हैं।

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