शुक्रवार को न्यायाधीश संदीप मेहता ने सुनवाई के दौरान भंसाली के अधिवक्ता से कहा कि फिल्म देखने के बाद ही एफआईआर में दायर आरोपों की सच्चाई के बारे में पता चल सकता है। इसलिए फिल्म को दिखाने की व्यवस्था की जाए। इस पर भंसाली के अधिवक्ता निशांत बोड़ा ने कहा कि वे याचिकाकर्ता से पूछ कर जवाब देंगे। कोर्ट ने इस पर मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी तय की है।
निर्माता निर्देशक को पेशी की तारीख 23 जनवरी से पहले यह फिल्म अदालत को दिखानी होगी। दरअसल डीडवाना में पिछले वर्ष मार्च में दो व्यक्तियों वीरेंद्रसिंह व नागपाल ने तब फिल्म
पदमावती की शूटिंग के दौरान अखबारों व मीडिया में आई रिपोट्र्स के आधार पर एफआईआर दायर कराते हुए कहा था कि लगता है इस फिल्म में पदमावती का ठीक से चरित्र चित्रण नहीं किया गया है और अन्य पात्रों को भी इस तरह पेश किया गया है जिसे देख कर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
एफआईआर में भंसाली के साथ ही अभिनेत्री
दीपिका पादुकोण व अभिनेता रणवीरसिंह के भी नाम शामिल थे। इस पर भंसाली व अन्य की ओर से हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत विविध आपराधिक याचिता दायर की गईए जिसकी पहली सुनवाई में ही एफआईआर के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई थीए लेकिन अब आगे हुई सुनवाई में शुक्रवार को इसका अंतिम निर्णय करने से पहले फिल्म का कोर्ट के सामने विशेष प्रदर्शन करने का आदेश जारी किया गया है।