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जोधपुर में चाक चौबंद सुरक्षा के बीच गणपति बप्पा को नम आंखों से दी विदाई

locationजोधपुरPublished: Sep 05, 2017 03:23:00 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

पंचक का मूर्ति विसर्जन पर नहीं होगा असर
 

Ganpati Visarjan

Ganpati Visarjan

सूर्यनगरी के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित 11 दिवसीय ‘मंगलमूर्ति’ गणपति महोत्सव का समापन मंगलवार को हुआ। घरों एवं शहर में जगह-जगह स्थापित गणपति मंडपों में करीब पांच हजार से अधिक छोटी-बड़ी गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन अलग-अलग जलाशयों में किया गया। मुख्य विसर्जन समारोह गुलाब सागर जलाशय में हुआ। शिवसेना जिला प्रमुख सम्पत पूनिया ने बताया कि संगठन की ओर से शहर में स्थापित प्रतिमाएं जालोरी गेट पर सुबह 10 बजे से एकत्र होने के बाद शोभायात्रा के रूप में सिरे बाजार होते हुए गुलाब सागर पहुंची। शहर के गणपति पंडालों में विसर्जन की पूर्व संध्या पर धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम की धूम रही। सौभाग्य की रक्षा, ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं व्रत रखेंगी और वैष्णव भक्त अनंत भगवान के रूप में विष्णु का पूजन किया।
पाटा नाव तैयार, सड़कें दुर्दशा की शिकार

गुलाबसागर में आर्य मरुधर व्यायामशाला के वरिष्ठ दलपति सुरेन्द्र बहादुरसिंह के नेतृत्व में प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इसके लिए विशेष तौर पर पाटा नाव तैयार की गई है। शिवसेना के वरिष्ठ सदस्य वीरेन्द्रदेव अवस्थी ने बताया कि इस बार पदमसर जलाशय में न्यायालय आदेश से सख्त रोक के बाद गुलाब सागर जलाशय में प्रतिमा विसर्जन की संख्या ज्यादा होने की संभावना है। इसके अलावा सूरसागर खरबूजा बावड़ी, उम्मेद सागर, तख्त सागर, शेखावतजी का तालाब, मंडोर नागादड़ी जलाशयों पर भी विसर्जन किया गया। अवस्थी ने बताया कि 24 अगस्त को जिला प्रशासन की बैठक में गुलाब सागर की सड़कों को ठीक करने का वादा किया गया लेकिन सड़कें दुर्दशा की शिकार है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक मूर्तियां विसर्जन के लिए गुलाब सागर जलाशय पहुंचने की संभावना है।
मूर्ति विसर्जन में पंचक का दोष नहीं : ओमदत्त


जोधपुर के प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार गणपति विसर्जन मंगलवार को दिन भर कभी भी किया जा सकता है। अनंत चतुर्दशी तिथि मंगलवार को दोपहर 12.40 बजे तक ही रहेगी। पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि दोपहर 12.40 से पूर्व मूर्ति पूजन के बाद मूर्ति को स्थापित स्थल से हटाकर अन्यत्र रखने के बाद दिन में कभी भी प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता हैं। पं. रमेश भोजराज द्विवेदी ने बताया कि गणपति महोत्सव दरअसल पूर्णत: लौकिक पर्व है। बाल गंगाधर तिलक ने इसे मुंबई में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए आरंभ किया था। इसीलिए गणपति विसर्जन में शास्त्रोक्त कर्म के दौरान पंचक का दोष कदापि नहीं रहता है। पंचक का कोई संबंध नहीं होने के कारण चतुर्दशी तिथि में कभी भी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा सकता है। चतुर्दशी तिथि मध्याह्न 12.41 बजे तक रहेगी। बाद में पूर्णिमा तिथि और पितृपक्ष आरंभ हो जाएंगे।
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