दरअसल न्यायाधीश व्यास की खंडपीठ में याचिकाकर्ता लहरी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के तहत अस्पतालों में सफाई व इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर समिति गठित की गई थी। एडीएम प्रथम सीमा कविया की अगुवाई में हाईकोर्ट विधिक सहायता समिति के सचिव धीरज शर्मा सहित न्यायमित्र एमएस सिंघवी से भी तीनों अस्पतालों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। शुक्रवार को मामले की सुनवाई में लंच से पहले अस्पतालों की दुर्दशा की रिपोर्ट फोटो सहित पेश की, जिसमे टॉयलेट्स में टूटी-फूटी टाइलें व पाइप आदि के फोटो शामिल थे। इस पर कोर्ट ने दो अधिवक्ताओं वीआर चौधरी व एक अन्य को फिर से निरीक्षण के लिए भेजा। उन्होंने भी न्यायमित्र की रिपोर्ट की पुष्टि की। इस पर लंच के बाद जिला कलक्टर व तीनों बड़े अस्पतालों महात्मा गांधी अस्पताल, मथुरादास माथुर अस्पताल व उम्मेद जनाना अस्पताल के अधीक्षकों को तलब किया गया।
जिला कलक्टर ने दिया आश्वासन कलक्टर ने कहा कि उन्होंने सभी अस्पतालों में खुद मॉनिटरिंग करते हुए बहुत सुधार कराए हैं,सफाई भी हो रही है, लेकिन यदि मेन्टेनेंस में गड़बड़ हो रही है तो इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। इस पर ख्ंाडपीठ ने कहा कि जो
काम नहीं करते, उन्हें वेतन क्यों दिया जा रहा है।