कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने बताया कि कैलाश कुमार ने तखतगढ़ थाने में 4 अक्टूबर 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराई की थी कि उसका नाबालिग पुत्र श्रवण सिंह आठ दिन से लापता है। पुलिस को इससे आठ दिन पहले 26 सितम्बर 2016 को जवाई बांध में अज्ञात व्यक्ति की लाश मिली थी। उसकी शिनाख्तगी के प्रयास भी किए गए। फोटो देख मृतक के फूफा व उसके दोस्तों ने उसकी पहचान श्रवण के रूप में की थी। मृतक के पिता को विश्वास नहीं हुआ। वह अपने पुत्र को जिन्दा मान रहा है। इसी के चलते उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी। सच्चाई पता चलने पर हाईकोर्ट ने हालांकि याचिका खारिज कर दी। पिता के दर्द को देखते हुए उसकी संतुष्टि के लिए मृतक के विसरा से पिता के डीएनए से मिलान करने के निर्देश दिए हैं। खंडपीठ ने पुलिस को कहा है कि पिता का डीएनए लेकर विसरा से मिलान कर जो भी रिपोर्ट हो उसके पिता को बताई जाए।
सोजती गेट निवासी परिवादिनी पत्नी की ओर से अधिवक्ता संजय पंडित और योगेश ओझा ने परिवाद पेश कर बताया कि उसकी शादी चंडीगढ़ के हर्षमणि पुत्र जगदीशकुमार के साथ पिछले वर्ष नवम्बर में हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही पति, ससुर जगदीश, सास निर्मला दहेज की मांग करने लगे और परिवादिनी की प्रतिमाह तनख्वाह में से 20 हजार रुपए पति के बैंक खाते में जमा करवाने का दबाव डालने लगे।
परिवाद के अनुसार एक लाख रुपए प्रतिमाह कमाने वाले पति ने अलग-अलग समय में परिवादिनी से दो लाख रुपए ले अपने खाते में जमा करवाए और पचास लाख की और मांग करने लगे। पति ने परिवादिनी की एक-एक करोड़ की दो जीवन बीमा पॉलिसी करवा दी और स्वयं उसका नॉमिनी बन गया। परिवादिनी पत्नी ने पति के खिलाफ दहेज प्रताडऩा, धोखाधड़ी व मारपीट का मुकदमा दर्ज करने, गिरफ्तार करने और स्त्रीधन वापस दिलाने की कोर्ट से गुहार लगाई। इस पर जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या दो ने परिवाद महिला थाना पूर्व में भेजकर जांच करने के आदेश दिए।