यह है एक सूची मेटफॉरमिन 500 एमजी प्लस ग्लिमिप्राइड 2 एमजी, कैप्सूल प्रिगाबिलिन, टेबलेट कॉटरीमोक्साजोल 80-400, इंजेक्शन एसीक्लोविर 250-500 एमजी, कैंसर की इटोपोसाइड, ब्लियोमाइसिन, इमाटिनिब, लिक्विड एच2ओ2, फ्रेसेमाइड, टेबलेट लेक्टिक एसिड, टेबलेट कैल्शियम प्लस विटामिन डी-3 सहित 21 तरह की दवाइयां डीडीसी काउंटर पर उपलब्ध नहीं हैं। इस सूची में कई टेबलेट, कैप्सूल व इंजेक्शन शामिल हैं। वहीं जिम्मेदारों का दावा है कि उनके पास वह दवा उपलब्ध है।
आप भी ध्यान रखें
ज्यादातर अस्पतालों के आउटडोर में चिकित्सक को दिखाते वक्त मरीज और परिजन जाने-अनजाने में वहां स्थापित डीडीसी काउंटर से दवा नहीं लेते। वे अस्पताल में ही अन्यत्र काउंटर से दवा लेते हैं, ऐसे में वहां दवा नहीं मिल पाती। मरीजों व परिजनों के सामने कई बार इस तरह की समस्या भी पेश आती है।
दवा लेने में छूटते हैं पसीने
मथुरादास माथुर अस्पताल में आउटडोर 2500 से 4500 चल रही है। सभी मेडिसिन सहित अन्य आउटडोर में मरीजों की भीड़ रहती है। इससे पहले मरीज या परिजन परामर्श पर्ची व बाद में डॉक्टर को दिखाने के लिए कतार में लगता है। इसके बाद निशुल्क दवा काउंटर पर कतार खड़ा होता है। इस जद्दोजहद में मरीज व परिजन के पसीने छूट जाते हैं।
मथुरादास माथुर अस्पताल में आउटडोर 2500 से 4500 चल रही है। सभी मेडिसिन सहित अन्य आउटडोर में मरीजों की भीड़ रहती है। इससे पहले मरीज या परिजन परामर्श पर्ची व बाद में डॉक्टर को दिखाने के लिए कतार में लगता है। इसके बाद निशुल्क दवा काउंटर पर कतार खड़ा होता है। इस जद्दोजहद में मरीज व परिजन के पसीने छूट जाते हैं।
दवाइयां पूरी नहीं, एक्सरे मशीनें बन गई कबाड़
जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से सम्बंद्ध अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर दवाइयां पूरी नहीं हैं। कई मरीज पैसों से दवाइयां खरीद रहे हैं। इसके अलावा बालेसर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तो एक्स-रे मशीन कबाड़ बन गई है। यहां मशीन चलाने वाला रेडियोग्राफर तक नहीं है। इस अव्यवस्था के कारण कई मरीज बाहर निजी लैब में जाकर जांच करवा रहे हैं। इस कारण कई निजी जांच सेंटर बालेसर में एक्सरे के नाम पर चांदी कूट रहे हैं। यह मशीन सिलिकोसिस पीडि़तों की जांच के लिए लगी थी, लेकिन वर्तमान में मशीन रेडियोग्राफर के इंतजार में कबाड़ बन चुकी है।
जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से सम्बंद्ध अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर दवाइयां पूरी नहीं हैं। कई मरीज पैसों से दवाइयां खरीद रहे हैं। इसके अलावा बालेसर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तो एक्स-रे मशीन कबाड़ बन गई है। यहां मशीन चलाने वाला रेडियोग्राफर तक नहीं है। इस अव्यवस्था के कारण कई मरीज बाहर निजी लैब में जाकर जांच करवा रहे हैं। इस कारण कई निजी जांच सेंटर बालेसर में एक्सरे के नाम पर चांदी कूट रहे हैं। यह मशीन सिलिकोसिस पीडि़तों की जांच के लिए लगी थी, लेकिन वर्तमान में मशीन रेडियोग्राफर के इंतजार में कबाड़ बन चुकी है।
इनका कहना हैपर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध है, जहां दवा नहीं है, वहां के लिए सभी डीडीसी काउंटरों को पाबंद किया जाएगा। – डॉ. राकेश पासी, प्रभारी अधिकारी, औषधि भंडार गृह ग्रामीण क्षेत्रो में स्वीकृत दवाओं में से आधी की आपूर्ति
पीपाड़सिटी. राज्य सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में स्वीकृत दवाइयों में से आधी की ही आपूर्ति होने से योजना अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पा रही है। गरीब मरीजों को अन्य दवाइयों के लिए दवाइयां खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। पीपाड़सिटी के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिदिन तीन सौ से अधिक मरीज उपचार के लिए आते हंै, जिनमें शहरी क्षेत्र के गरीबों के साथ ग्रामीण भी शामिल हैं। सरकार की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 563 दवाइयां स्वीकृत हैं। इनमें से 287 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हैं। हृदय रोगी मोहम्मद हफीज ने बताया कि गत दो वर्षों से अधिकतर दवाइयां बाहर से लेनी पड़ रही हैं।
इनका कहना है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आवश्यकता के अनुसार ही दवाओं को उपलब्ध कराया जा रहा है। मांग के अनुसार आवश्यकता होने पर आपूर्ति का प्रयास किया जाता है। -डॉ. एनएन भाटी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, पीपाड़सिटी
बीमार है रेफरल चिकित्सालय बिलाड़ा. राष्ट्रीय राजमार्ग के 130 किलोमीटर की दूरी में स्थित एक मात्र रैफरल चिकित्सालय अरसे से बीमार है। सड़क दुर्घटना या गंभीर रूप से बीमारों को यहां से जिला मुख्यालय पर ही रैफर ही किया जाता है। कई बार प्राथमिक उपचार न होने पर चोटिल व्यक्ति रास्ते में ही दम तोड़ देता है। चिकित्सालय में ब्लड स्टोरेज, सोनोग्राफी और आंखों के ऑपरेशन आदि सुविधाएं होने के बावजूद लम्बे समय से इनका उपयोग नहीं हो रहा है। इसके कारण गरीब व असहाय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हंै। गौरतलब है कि छह माह पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ व केन्द्रीय विधि राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने रैफरल चिकित्सालय को सौ बैड के रूप मे क्रमोन्नत करने की घोषणा की थी। इसका आज भी इंतजार है।