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बदले मौसम ने लोगों को दिया खांसी जुकाम का तोहफा, अब तक 31 करोड़ की दवाइयां निगल चुका जोधपुर

locationजोधपुरPublished: Oct 10, 2017 04:15:11 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

प्रतिदिन 4760 मरीज फिजिशियन से ले रहे परामर्श
 

Home Remedies for Cold & Cough in Hindi

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मानसून के बाद शहर में बदले मौसम से शुरू हुआ खांसी-जुकाम और बुखार का सिलसिला अब तक शहर के लोगों की जेब से 31.63 करोड़ रुपए निकाल चुका है। इसमें से 80 फीसदी खर्चा मच्छरों की वजह से क्लिनिकल जांचों और दवाइयों के कारण हुआ है। शहरवासियों ने क्लिनिकल जांचों पर 19.18 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। चिकित्सकों का कहना हैं कि दिवाली के बाद धीरे-धीरे मच्छरों और फ्लू का असर कम होने लगेगा, तब जाकर लोगों को राहत मिल सकेगी। बीते दो महीनों से शहर में प्रतिदिन करीब पांच हजार रोगी अस्पताल में सामान्य फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के शिकार होकर पहुंच रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों की मेडिकल ओपीडी भरी हुई है। ओपीडी में आने वाले दस फीसदी गंभीर मरीजों को वार्डों में भर्ती करना पड़ता है, जिसकी वजह से सरकारी अस्पताल के वार्ड फुल हो गए हैं।
सितम्बर है फिजिशियन का महीना

जुलाई में मानसून की शुरुआत के साथ ही मच्छरों के लार्वा पनपने शुरू हो गए। इस बार जुलाई के अंतिम सप्ताह में ही इतनी अधिक बरसात हो गई कि शहर में वार्षिक वर्षा का 70 फीसदी पानी बरस गया। जगह-जगह पानी इकठ्ठा होने से डेंगू व चिकनगुनिया फैलाने वाले एडिज मच्छर और मलेरिया के एनोफिलिज मच्छर तेजी से लार्वा से वयस्क बनकर शहरवासियों को काटने लगे। नगर निगम के खुले पड़े नालों, शहर के कूलरों में भरा पानी, पक्षियों के परिण्डे ने मच्छरों को जीवनदान दिया। उधर दिन का तापमान भी 35 डिग्री के भीतर आ गया, जिससे हवा में इंफ्लुएंजा सहित कई तरह के वायरस सक्रिय हो गए। अगस्त में शहरवासी फ्लू और डेंगू के शिकार होने लगे। सितम्बर में यह आंकड़ा बहुत अधिक हो गया। चिकनगुनिया के सर्वाधिक रोगी सितम्बर में सामने आए।
हर रोज 6.80 लाख पर्ची पर खर्च


महात्मा गांधी व मथुरादास माथुर अस्पताल की मेडिकल ओपीडी और उम्मेद अस्पताल की पीडियाट्रिक ओपीडी में प्रतिदिन करीब 1600 मरीज आए। इसमें से 640 मरीज खांसी-जुकाम और बुखार से पीडि़त थे। जिला अस्पताल, सैटेलाइट व डिस्पेंसरियों में ऐसे 720 मरीज थे। सरकारी अस्पतालों में हर रोज खांसी-जुकाम के लिए ओपीडी पर्ची पर लोगों को 13 हजार 600 रुपए खर्च करने पड़े। शहर के 35 प्रमुख निजी अस्पतालों की मेडिकल ओपीडी में प्रतिदिन 1400 मरीज खांसी-जुकाम के थे। इसके अलावा घर पर मरीजों को परामर्श देने वाले फिजिशियन व निजी क्लिनिक की मेडिकल ओपीडी प्रतिदिन 2 हजार रही। निजी अस्पताल और फिजिशियन की पर्ची में ही शहर के लोगों को हर रोज 6.80 लाख खर्च करने पड़ गए।
हर रोज 14 लाख दवाइयों पर खर्च

सरकारी अस्पतालों में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के अंतर्गत अधिकांश दवाइयां नि:शुल्क मिल रही है लेकिन फिर भी सरकारी अस्पतालों में आए मरीजों को एंटीबायोटिक व खांसी की दवाइयों के लिए प्रतिदिन 2.04 लाख खर्च करने पड़े। निजी अस्पताल और घर पर फिजिशियनों से जांच कराने वाले शहर के मरीजों को ओपीडी पर्ची से प्रतिदिन 11.90 लाख रुपए की दवाइयां खरीदनी पड़ी।
शहर में खांसी-जुकाम मरीजों का प्रतिदिन डाटा


– 4760 मरीज हर रोज जा रहे फिजिशियन के पास

– 640 मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में
– 720 अन्य सरकारी अस्पतालों में

– 1400 मरीज निजी अस्पतालों में
– 2000 मरीज क्लिनिक व फिजिशियन के घर पर
दवाइयां व पर्ची पर प्रतिदिन खर्चा

– 13600 रुपए खर्च हुए सरकारी ओपीडी की पर्ची पर
– 6.80 लाख रुपए की पर्ची बनी निजी अस्पताल व क्लिनिक में

– 2.04 लाख खर्च करने पड़े सरकारी अस्पतालों के मरीजों को दवाइयों पर
– 11.90 लाख खर्च हुए निजी अस्पताल के मरीजों की दवाइयों पर
जांच केंद्रों के वारे-न्यारे

– 1.05 लाख रुपए एक्स-रे पर खर्च
– 2.72 लाख रुपए की सीबीसी काउंट

– 8.40 लाख रुपए की डेंगू जांच
– 6.40 लाख रुपए की चिकनगुनिया जांच

– 3.40 लाख रुपए की मलेरिया जांच
– 1.40 लाख रुपए की स्वाइन फ्लू सहित अन्य जांच
– 2 लाख रुपए की लीवर-किडनी की जांचें
– 3 लाख रुपए टीएलसी जांच पर

– 2.60 लाख रुपए ईएसआर जांच पर
– 1 लाख रुपए प्लेटलेट काउंट पर

(ये प्रतिदिन के डाटा है। सरकारी अस्पताल में अधिकांश जांचें फ्री है। निजी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों की जेब ढीली हो गई।)
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