बचाने नहीं, नसीहत देने आए लैब टैक्निशियन सिक्योरिटी गार्ड विक्षिप्त व्यक्ति से मारपीट कर रहा था। तब उसे बचाने के लिए लैब के अंदर से कोई भी स्टाफ बाहर नहीं आया। मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति की बारी आने वाली थीए तब रक्त जांच यहां नहीं करवाने के लिए नसीहत देने लैब टैक्निशियन बाहर आ गए। प्रिन्सिपल डॉ मालवीय ने कहा सिक्योरिटी गार्ड ने विक्षिप्त को बदले की नियत से मारा जो अपराध की श्रेणी में आता है।
घटना के बाद सुरक्षाकर्मियों की भूमिका पर सवाल
मनोरोगियों के साथ अच्छा व्यवहार किसकी जिम्मेदारी…. मनोरोग विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी रक्त जांच के लिए वहीं भेजा जाता है, जहां पर सामान्य वर्ग के लोग रक्त जांच करवाने पहुंचते हैं । ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल प्रशासन को अलग से व्यवस्था क्यूं नहीं की….
मनोरोगियों के साथ अच्छा व्यवहार किसकी जिम्मेदारी…. मनोरोग विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी रक्त जांच के लिए वहीं भेजा जाता है, जहां पर सामान्य वर्ग के लोग रक्त जांच करवाने पहुंचते हैं । ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल प्रशासन को अलग से व्यवस्था क्यूं नहीं की….
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉण्अजय मालवीय ने अस्पतालों की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए इसमें कुछ बदलाव किए थे। इनमें सबसे बड़ा बदलाव तो यह था कि सिक्योरिटी गार्ड के हाथों से डंडे ही हटवा लिए थेए ताकि मरीजों का मान सम्मान बना रहेए लेकिन उनके डंडा हटवाने के आदेशों के 14 दिन बाद ही मानवाधिकार को ठेस पहुंचाने वाली यह घटना घटी।