बेहाल गीता की सूनी गोद और भरी आंखें... तड़पती ममता का बस इतना सा था कसूर और झेली इतनी बड़ी सजा
बरेली से दूधमुंही बच्ची को छोड़ निकली मानसिक रोगी गीता जैसलमेर पहुंची
वैसे तो गीता पढ़कर कई तर गए, लेकिन बरेली की गीता थार के रेगिस्तान में आकर डूबने से बच तो गई, लेकिन अब उसकी नैया पार लगाने के लिए खेवनहार की तलाश है। उत्तरप्रदेश के बरेली में दूधमुंही बेटी को छोड़कर अद्र्ध विक्षिप्त हालत में करीब साढ़े तीन माह पूर्व जैसलमेर कैसे पहुंची उसे खुद ही पता ही नहीं है। उसका कसूर यह था कि उसने दूसरी बेटी को जन्म दिया। जोधपुर के एनजीओ की मदद से 25 वर्षीय गीता उर्फ मेहकिया के परिजनों का पता तो चल गया, लेकिन 11 माह की दूधमुंही बच्ची से मिलने के लिए गीता की तड़प और आंसू थम नहीं रहे हैं। सरकारी आदेशों के इंतजार में गीता जोधपुर के नारी निकेतन में आवासनी के रूप में अधरझूल में अटकी है।
'पीड़ा की गाथा'
करीब 11 साल पहले गीता की शादी रामबहादुर से हुई। गीता का पति आए दिन शराब पीकर मारपीट करता था। गीता ने 10 वर्षीय बेटा अर्जुन, सात वर्षीय पुत्री राधिका के बाद इसी साल जनवरी में उसने तीसरी संतान के रूप में बेटी प्रियल को जन्म दिया। इसे लेकर पति ने दो माह की बेटी के साथ घर से निकाल बाहर किया। वहां से गीता पीहर पहुंच गई। पीहर से कब अपनी बच्ची छोड़कर बदहवास हालत में जैसलमेर पहुंच गई, उसे खुद भी पता नहीं है। लावारिस अवस्था में मिलने पर गीता को 6 अगस्त को जैसलमेर एसडीएम ने जोधपुर के नारी निकेतन भेजा। दूधमुंही बच्ची के साथ दो बच्चों की याद में तड़पती और दिन रात आंसू बहाती गीता शारीरिक रूप से कमजोर हो चुकी थी। गंभीर हालत देखते हुए 23 अक्टूबर को उसे मथुरादास माथुर के मनोविकार केन्द्र में भर्ती करवाया गया। गीता कई दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही।
गीता की सुपुर्दगी को लेकर असमंजस
अस्पताल में काउसलिंग के दौरान मेंटल अपलिफ्टमेंट नीड सोसायटी मन संस्था के सचिव योगेश लोहिया और सहयोगी संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के पीएस जांगिड़, जोधपुर एडीएम कुशल कोठारी व सीआई हरजीराम ने सूचना जुटाने में सहयोग किया। आश्रम के बाहर फूल बेचने वाली मां और मजदूर भाई कोमिल के साथ उसकी दूधमुंही बच्ची के चित्र गीता को दिखाए गए, तो वह फफक पड़ी। गीता की सुपुर्दगी को लेकर असमंजस बरकरार है।

गृह निरीक्षक की अनुमति का इंतजार
पता चलने पर बरेली के बारादौरी थानाधिकारी को पत्र भेजा जा चुका है। वहां से डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन हो चुका है। समाज कल्याण विभाग से एनओसी मिलते ही गीता को परिजनों के पास भेज दिया जाएगा। -मनमीत कौर, अधीक्षक राजकीय नारी निकेतन मंडोर, जोधपुर
गीता को बरेली भिजवाने का प्रबंध हो
सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार गीता को उसके परिजनों के पास भेज देना चाहिए। मां और बच्चों के हित में उसे तुरंत बरेली भिजवाने का प्रंबध होना चाहिए। -योगेश लोहिया, विधिक स्वयंसेवक, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति
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