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जोधपुर

राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा सवाल… क्या झूठे आंकड़ों पर बन रही है शिक्षा नीति…?

राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा सवाल… क्या झूठे आंकड़ों पर बन रही है शिक्षा नीति…?
 

जोधपुरAug 18, 2017 / 05:07 pm

Nidhi Mishra

PIL filed on education policy

PIL filed on education policy

राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आने वाली स्कूलों की ओर से केन्द्र व राज्य सरकार को गलत आंकड़े प्रेषित किए जाने पर नोटिस जारी कर 23 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग व न्यायधीश रामचन्द्रसिंह झाला की खंडपीठ ने ये आदेश याचिकाकर्ताओं एनएलयू के लीगल ऐड व अवेयरनेस कमेटी की ओर से दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में दिए। खंडपीठ ने इस मामले में जहां अधिवक्ता राजवेन्द्र सारस्वत को न्यायमित्र नियुक्त किया है। केन्द्र सरकार के लिए अधिवक्ता बीएस संधू व राज्य सरकार के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार को नोटिस थमाए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से खंडपीठ में कहा गया कि उनकी कमेटी ने कम से कम 140 स्कूलों का अध्ययन करने के बाद पाया कि वे अपने इन्फ्रा स्ट्रक्चर, स्टाफ की संख्या, छात्रों की उपस्थिति, साफ-सफाई व अन्य उपलब्धियों के बारे में एकदम झूठे आंकड़े प्रेषित करते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि इन आंकड़ों के आधार पर ही केन्द्र सरकार शिक्षा से संबंधित नीति तैयार करती है। इस सुनवाई के बाद खंपीठ ने नोटिस जारी कर केन्द्र व राज्य सरकार से आगामी सुनवाई पर 23 अक्टूबर को जवाब पेश करने के आदेश दिए।
जेएनवीयू छात्रसंघ चुनाव के नियमों को चुनौती, हाईकोर्ट ने तुरंत सुनवाई से किया इनकार

वहीं राजस्थान हाईकोर्ट में जेएनवीयू सहित अन्य कॉलोजों में 28 अगस्त को प्रस्तावित छात्र संघ चुनावों में बदलाव को चुनौती देते हुए जेएनवीयू छात्र संघ में अध्यक्ष पद की उम्मीदवार कांता ग्वाला की ओर से जस्टिस निर्मलजीत कौर की अदालत में रिट याचिका पेश की गई। जस्टिस निर्मलजीत कौर ने याचिका में तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। उन्होंने शुक्रवार को भी याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया। अलबत्ता अब याचिका की सुनवाई सोमवार 21 अगस्त को रखी गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी व अधिवक्ता विनीत दवे अदालत में पेश हुए। उन्होंने बाद में बताया कि जेएनवीयू छात्र संघ चुनवों में नियमों में भारी फेरबदल किए गए हैं, जिससे चुनाव लडऩे के में मुश्किलें पेश आ रही हंै। किसी अन्य सस्थान से माइग्रेट होकर आए छात्र को मताधिकार तो दिया गया है, लेकिन उसे चुनाव में खड़े होने की योग्य नहीं माना गया है। इसके अलावा अन्य कई नियम ऐसे हैं जिससे छात्र नेता प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जस्टिस निर्मलजीत कौर ने याचिका की सुनवाई सोमवार को करने की स्वीकृति प्रदान की है।

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