स्वाइन फ्लू का वापस कहर
कुछ दिन के लिए धीमा पड़ा स्वाइन फ्लू का असर वापस कहर बन कर टूटना शुरू हो गया है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से इसका असर कम हो गया था, जो तीन दिन से वापस तेज हो गया है। मौसम में आए बदलाव के बाद गत दिनों मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायलॉजी लैब में मंगलवार को जांच के लिए 25 नमूने आए थे। इनमें से तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। इसमें दो रोगी जोधपुर जिले के हैं और एक बाड़मेर जिले का था। बाड़मेर जिले के गिड़ा क्षेत्र की निवासी 24 वर्षीय महिला, जोधपुर जिले के रोहिचाकलां निवासी 22 वर्षीय महिला और कुड़ी हाउसिंग बोर्ड निवासी 33 वर्षीय महिला में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। सभी स्वाइन फ्लू के नए रोगियों का आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है।
कुछ दिन के लिए धीमा पड़ा स्वाइन फ्लू का असर वापस कहर बन कर टूटना शुरू हो गया है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से इसका असर कम हो गया था, जो तीन दिन से वापस तेज हो गया है। मौसम में आए बदलाव के बाद गत दिनों मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायलॉजी लैब में मंगलवार को जांच के लिए 25 नमूने आए थे। इनमें से तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। इसमें दो रोगी जोधपुर जिले के हैं और एक बाड़मेर जिले का था। बाड़मेर जिले के गिड़ा क्षेत्र की निवासी 24 वर्षीय महिला, जोधपुर जिले के रोहिचाकलां निवासी 22 वर्षीय महिला और कुड़ी हाउसिंग बोर्ड निवासी 33 वर्षीय महिला में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। सभी स्वाइन फ्लू के नए रोगियों का आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है।
बच्चों में तेजी से फैल रहा बच्चों में भी स्वाइन फ्लू तेजी से बढ़़ रहा है। इस मर्ज के मरीज रोजाना बढ़ रहे हैं। सरकार और चिकित्सा प्रशासन इन पर रोक लगाने में नाकाम रहे हैं। हालत यह है कि चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रशासन नींद ले रहा है और लचर चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। यही कारण है कि जोधपुर में स्वाइन फ्लू रोगियों की तादाद में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है।
जब भागा था स्वाइन फ्लू रोगी
पिछले दिनों मथुरादास माथुर अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती एक और मरीज विगत भाग खड़ा हुआ था। मरीजों के बिना बताए चले जाने की यह तीसरी घटना थी। आइसोलेशन वार्ड छोड़ कर मरीजों के भागने की घटना के पीछे अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि मरीजों को एक दो दिन में वैसे भी छुट्टी मिलने ही वाली थी, लेकिन परिजन उनको पहले ही घर ले गए। अस्पताल प्रशासन के इन दावों का मरीजों के भागने की घटनाएं पोल खोल रही हैं। स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों के भागने का समय अलसुबह का रहा, जबकि तब तक न तो ओपीडी शुरू होती है और न ही वार्ड में भर्ती मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर ही आते हैं।
पिछले दिनों मथुरादास माथुर अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती एक और मरीज विगत भाग खड़ा हुआ था। मरीजों के बिना बताए चले जाने की यह तीसरी घटना थी। आइसोलेशन वार्ड छोड़ कर मरीजों के भागने की घटना के पीछे अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि मरीजों को एक दो दिन में वैसे भी छुट्टी मिलने ही वाली थी, लेकिन परिजन उनको पहले ही घर ले गए। अस्पताल प्रशासन के इन दावों का मरीजों के भागने की घटनाएं पोल खोल रही हैं। स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों के भागने का समय अलसुबह का रहा, जबकि तब तक न तो ओपीडी शुरू होती है और न ही वार्ड में भर्ती मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर ही आते हैं।