उप कारागार देवी मां की आस्था के रंग में डुबा हुआ है। बंदी धार्मिक आस्था में सरोबार है। बैरक में माताजी की ज्योत प्रज्वलित हो रही है। इन बंदियों की आस्था को देखते हुए अन्य बैरक में बंद बंदी भी सुबह शाम की आरती में शामिल होने लगे हैं।
जिले का दूसरा सबसे सुरक्षित जेल
पिचियाक स्थित उप कारागार जिले का दूसरा सबसे सुरक्षित जेल के रूप में माना जाता है। कारागार की बैरकों में कुल 47 बंदी है। मुख्य बैरक में नवरात्रा स्थापना के साथ ही माताजी और देवी-देवताओं के चित्र लगाए गए और जल रही अखण्ड ज्योत के सामने खड़े हो ये सभी बंदी सुबह-शाम महाआरती करते हैं। जेल प्रशासन भी इन बंदियों की आस्था देख कुछ नियमों में ढील दी है। बंदी नवरात्रा के व्रत रख रहे है। बंदियों के भक्ति भाव देखते हुए जेल प्रशासन ने पूजा-पाठ के लिए विशेष इंतजाम किए है।
पिचियाक स्थित उप कारागार जिले का दूसरा सबसे सुरक्षित जेल के रूप में माना जाता है। कारागार की बैरकों में कुल 47 बंदी है। मुख्य बैरक में नवरात्रा स्थापना के साथ ही माताजी और देवी-देवताओं के चित्र लगाए गए और जल रही अखण्ड ज्योत के सामने खड़े हो ये सभी बंदी सुबह-शाम महाआरती करते हैं। जेल प्रशासन भी इन बंदियों की आस्था देख कुछ नियमों में ढील दी है। बंदी नवरात्रा के व्रत रख रहे है। बंदियों के भक्ति भाव देखते हुए जेल प्रशासन ने पूजा-पाठ के लिए विशेष इंतजाम किए है।
देवी बदल दे जिंदगी
संवाददाता को बंदियों ने बताया कि हो सकता है मां भवानी, जोगमाया, जगदम्बा की आराधना से शायद उनकी जिदंगी बदल जाए। अपराध कारित करने की जो भूल उनसे हुई, उसे माफी दे दे और उससे मुक्त हो जाएं। कई बंदियों की आंखों में पश्चात के आंसू स्पष्ट झलक रहे थे। प्रसाद, दूध, फलाहार व्रत रखने वाले बंदियों को रोटी की जगह दूध व फलाहार दिया जाता है। इसके अलावा शुद्ध पानी की भी व्यवस्था की गई है। जेल प्रशासन नवरात्रा पर विशेष अनुष्ठान कराने के लिए समाज सेवियों से भी सहयोग ले रहा है। प्रसाद एवं मालाऐं भी प्रतिदिन जेल में पहुंच जाती है।
संवाददाता को बंदियों ने बताया कि हो सकता है मां भवानी, जोगमाया, जगदम्बा की आराधना से शायद उनकी जिदंगी बदल जाए। अपराध कारित करने की जो भूल उनसे हुई, उसे माफी दे दे और उससे मुक्त हो जाएं। कई बंदियों की आंखों में पश्चात के आंसू स्पष्ट झलक रहे थे। प्रसाद, दूध, फलाहार व्रत रखने वाले बंदियों को रोटी की जगह दूध व फलाहार दिया जाता है। इसके अलावा शुद्ध पानी की भी व्यवस्था की गई है। जेल प्रशासन नवरात्रा पर विशेष अनुष्ठान कराने के लिए समाज सेवियों से भी सहयोग ले रहा है। प्रसाद एवं मालाऐं भी प्रतिदिन जेल में पहुंच जाती है।
जेलर रामजीवन कटाणिया बताते हैं कि नवरात्रा का उपवास करने वाले बंदियों को अलग बैरक में रखा गया है, ये बंदी सुबह पांच बजे उठकर नित्यकर्म व स्नान आदि के बाद 9 बजे सामूहिक पाठ व भजन करते हैं। 11 बजे इन्हें बैरक में बंद कर देते हैं। अपरान्ह 3 बजे वापस बैरक से बाहर निकालते हैं। रोजमर्रा के काम के बाद शाम साढ़े छ बजे बैरकों में बंद कर देते हैं। शाम की पूजा के बाद बंदी बेरक में भजन गाने लगते हैं और भक्ति के साथ सो जाते हैं।
जेल में हर बंदी को अपने धर्म के अनुरूप पूजा करने का अधिकार है। इस जेल में भी नवरात्रा में बंदी माताजी के उपवास एवं व्रत रख रहे हैं। – रामजीवन कटाणिया, जेलर, उपकारागाह पिचियाक।